आगरा: आगरा, जो कि अपनी ऐतिहासिक धरोहर और मोहब्बत के प्रतीक ताज महल के लिए प्रसिद्ध है, अब साहित्य और काव्य की भी एक समृद्ध धारा को प्रस्तुत कर रहा है। स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर नागरी प्रचारिणी सभा भवन में एक भव्य काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी में साहित्यकारों, आचार्यों, कवियों और पत्रकारों ने स्वामी विवेकानंद के योगदान को याद करते हुए अपनी रचनाओं से श्रोताओं का दिल जीता।
स्वामी विवेकानंद की जयंती पर श्रद्धांजलि
गोष्ठी की शुरुआत में प्रमुख अतिथि समाजसेवी अनिल दौनेरिया ने स्वामी विवेकानंद की जयंती पर सभी उपस्थित जनों को शुभकामनाएं दी और उन्हें साहित्यकारों की महत्ता समझाते हुए कहा कि साहित्यकार भी अपने लेखन के माध्यम से समाज को शिक्षित करने का कार्य करते हैं।
इससे पूर्व, सभी अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। इसके बाद, काव्य गोष्ठी का आरंभ हुआ।
काव्य रचनाएं और प्रस्तुति
काव्य गोष्ठी में प्रमुख रूप से डॉ. राजकुमार रंजन ने अपनी काव्य रचना प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने समय के पृष्ठ पर लिखी गई कथाओं की सुंदरता और शाश्वतता का वर्णन किया। उनके द्वारा पढ़ी गई पंक्तियाँ इस प्रकार थीं:
“समय के पृष्ठ पर तुमने लिखी कितनी कथाएँ थी,
अधर से जो कही शाश्वत हुयीं पावन ऋचाएँ थी,
पराभव का किया था अंत जय बोली सनातन की,
बसी उर में विवेकानंद के अर्भ्यथनाएँ थी।”
डॉ. राजकुमार रंजन की यह रचना स्वामी विवेकानंद के जीवन और कार्यों को श्रद्धांजलि देने के रूप में प्रस्तुत की गई थी, जो श्रोताओं के दिलों को छू गई।
प्रसिद्ध कवियों और लेखकों की प्रस्तुति
सुप्रसिद्ध गीतकार रामेन्द्र मोहन त्रिपाठी ने अपने गीतों से गोष्ठी का माहौल भव्य बना दिया। उनके गीतों में देशभक्ति और जीवन के गहरे अर्थों की सुंदरता झलक रही थी। वहीं, कवि शिवसागर और शीलेन्द्र वशिष्ठ ने अपनी गरिमामय रचनाओं से श्रोताओं को आकर्षित किया और उनके शब्दों ने सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
शिकोहाबाद के कवि और गजलकार राकेश तैनगुरिया ने अपने तेवरदार और प्रभावशाली अंदाज में गजल प्रस्तुत की, जिसने श्रोताओं को हर्षित और आह्लादित किया।
धौलपुर की कवयित्री रजिया बेगम जिया की पंक्तियाँ भी बेहद प्रभावित कर गईं, जिसमें उन्होंने कविता के माध्यम से रब और चमत्कार को दर्शाया। उनकी रचना इस प्रकार थी:
“मैंने चित्र बनाया रब का तेरा पाया,
ये कैसा चमत्कार हो गया।”
इसके साथ ही, टूण्डला के वीररस के प्रसिद्ध कवि ने अपनी रचनाओं से जोश भरा और श्रोताओं को उत्तेजित किया। त्रिमोहन तरल की गजल ने श्रोताओं के दिलों को छुआ और कई लोगों को भावुक कर दिया।
काव्य गोष्ठी का समापन
इस काव्य गोष्ठी ने न केवल स्वामी विवेकानंद की जयंती को याद किया, बल्कि साहित्य और काव्य की महत्वता को भी उजागर किया। इस आयोजन के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि साहित्य और कला समाज में शिक्षा और जागरूकता फैलाने का एक शक्तिशाली माध्यम हैं।
समाजसेवी अनिल दौनेरिया ने कार्यक्रम का समापन करते हुए सभी कवियों और साहित्यकारों की सराहना की और कहा कि ऐसे कार्यक्रम समाज को सशक्त करने में मददगार साबित होते हैं।