वाराणसी: धर्म नगरी काशी, जिसे धर्म और आध्यात्म के साथ-साथ साहित्य और विद्या का भी केंद्र माना जाता है, में देश का पहला हिंदी साहित्य संग्रहालय बनने जा रहा है. यह संग्रहालय हिंदी भाषा और साहित्य को समर्पित होगा, जहाँ हिंदी के महान साहित्यकारों की यादों और उनके महत्वपूर्ण दस्तावेजों को सहेज कर रखा जाएगा. इस परियोजना को शासन की मंजूरी भी मिल चुकी है.
म्यूजियम का स्थान और लागत
यह म्यूजियम बनारस के पुलिस लाइन स्थित हिंदी भाषा के कार्यालय के पास बनाया जाएगा. इस परियोजना की कुल लागत 31 करोड़ रुपये है और जल्द ही इस पर काम शुरू हो जाएगा.
म्यूजियम की विशेषताएं
राज्य हिंदी संस्थान की निदेशक चंदन के अनुसार, यह हिंदी संग्रहालय किसी भाषा को समर्पित देश का पहला म्यूजियम होगा. इसमें हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकारों की पुस्तकें, तस्वीरें और दुर्लभ पांडुलिपियाँ व दस्तावेजों को संरक्षित किया जाएगा.
- एमपी थियेटर और ऑडिटोरियम: म्यूजियम में एक एमपी थियेटर और एक ऑडिटोरियम भी होगा, जहाँ साहित्यकारों के जीवन से जुड़ी रचनाओं को समझाया जाएगा और विभिन्न सांस्कृतिक व साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
- साहित्यकारों की गैलरी: इस म्यूजियम में हिंदी साहित्य के दिग्गजों को समर्पित एक विशेष गैलरी होगी, जिसमें उनकी प्रतिमाएँ और पेंटिंग लगाई जाएँगी. उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण पुस्तकें भी यहाँ रखी जाएँगी.
- जनसामान्य के लिए लाभ: इस म्यूजियम के बन जाने से आम जनता के साथ-साथ हिंदी साहित्य प्रेमियों को भी बहुत लाभ होगा. उन्हें पुराने साहित्यकारों की पुस्तकों और जानकारियों के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा.
बजट और निर्माण प्रक्रिया
संस्थान निदेशक चंदन ने बताया कि हिंदी साहित्य भाषा म्यूजियम के लिए सरकार से पहले ही स्वीकृति मिल चुकी है और डिजाइन को भी मंजूरी दे दी गई है. इस परियोजना को लेकर 24 सितंबर को शासन के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक भी हुई थी, जिसमें इंटीरियर डिजाइनिंग की प्रक्रिया पर चर्चा हुई. इंटीरियर डिजाइनिंग की रिपोर्ट सबमिट करने के साथ ही 10 करोड़ रुपये का बजट जारी कर दिया जाएगा और निर्माण कार्य की शुरुआत हो जाएगी.
साहित्यिक विरासत का संरक्षण
बनारस एक ऐसा शहर है जहाँ भारतेन्दु हरिश्चंद्र से लेकर मुंशी प्रेमचंद जैसे दिग्गज साहित्यकार हुए हैं. इस म्यूजियम के बन जाने से उनकी पहचान और विरासत सुरक्षित होगी, जो कहीं न कहीं देखरेख के अभाव में गुमनाम होती जा रही थी.