आगरा: बेसिक शिक्षा विभाग में निलंबन बहाली में खेल, सुविधा शुल्क लेकर नियमों की अनदेखी?

Jagannath Prasad
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मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज, निलंबित शिक्षिकाओं को मनमाफिक तैनाती देने का आरोप

आगरा। जनपद का बेसिक शिक्षा विभाग एक बार फिर चर्चाओं में है। विभाग में नियमों की अनदेखी और कथित भ्रष्टाचार के आरोपों ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। शिकायत के अनुसार, निलंबित शिक्षिकाओं को दंडस्वरूप दूरस्थ विद्यालय में भेजने के बजाय सुविधा शुल्क के आधार पर नगरीय क्षेत्र के विद्यालयों में तैनाती दी जा रही है।

इस संबंध में रामप्रसाद शर्मा द्वारा मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई गई है। उनका आरोप है कि ब्लॉक अछनेरा के सींगना विद्यालय में दो शिक्षिकाओं के बीच विवाद के बाद उन्हें निलंबित किया गया था। नियमानुसार, निलंबन के बाद दूरस्थ विद्यालय में तैनाती दी जानी चाहिए थी, लेकिन विभागीय अधिकारियों और बाबुओं की मिलीभगत से दोनों शिक्षिकाओं को ब्लॉक के नगरीय क्षेत्र में स्थित एचआरए (हाउस रेंट अलाउंस) विद्यालयों में तैनात कर दिया गया।

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निलंबन की आड़ में ट्रांसफर का खेल?

शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि यह प्रकरण अकेला नहीं है। जनपद की एक अन्य शिक्षिका को भी नियमों को दरकिनार कर जामपुर विद्यालय से सवाई द्वितीय विद्यालय में तैनात कर दिया गया। नियमों के अनुसार, निलंबित शिक्षक-शिक्षिकाओं की वेतन वृद्धि स्थायी रूप से रोकी जानी चाहिए, लेकिन यहां केवल अस्थायी रूप से वेतन वृद्धि रोकी गई।इसके विपरीत, बाह एवं पिनाहट ब्लॉक के एक शिक्षक और शिक्षिका के मामले में जब नियमों का उल्लंघन उजागर हुआ तो उनकी तैनाती निरस्त कर दी गई और उन्हें मूल विद्यालय में वापस भेज दिया गया। यह स्पष्ट करता है कि जिनसे कथित सुविधा शुल्क नहीं लिया जाता, उन्हें निलंबन के बावजूद मूल विद्यालय में ही दंडस्वरूप तैनात कर दिया जाता है।

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नियमों की अनदेखी करने वाला बाबू सवालों के घेरे में

रामप्रसाद शर्मा की शिकायत में यह भी कहा गया है कि मुख्यालय में अटैच एक बाबू, जो पहले जेल भी जा चुका है, इस पूरे खेल को अंजाम दे रहा है। ट्रांसफर प्रक्रिया पर रोक होने के बावजूद निलंबन की आड़ में शिक्षकों को मनचाही तैनाती दी जा रही है। जांच कमेटियां केवल औपचारिकता निभा रही हैं और नियमों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है।

शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

इस मामले ने शिक्षा विभाग की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या विभाग इस मामले की निष्पक्ष जांच करेगा या यह मामला भी फाइलों में ही दब जाएगा? यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस शिकायत पर क्या कदम उठाता है।

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