आगरा: आवास विकास परिषद ने हाल ही में सिकंदरा योजना में पुराने अवैध निर्माणों को लेकर नोटिस जारी करना शुरू किया है, लेकिन यह सवाल उठता है कि इन बड़े-बड़े अवैध निर्माणों को आखिरकार बनवाने का तरीका क्या था? सड़क किनारे खड़ी कई मंजिला अवैध बिल्डिंगों के निर्माण के दौरान जिम्मेदार अधिकारी चुप क्यों थे? और अब जब ये निर्माण पूरे हो गए हैं, तो फिर इन्हें नोटिस क्यों जारी किए जा रहे हैं? यह स्थिति लोगों में असमंजस और नाराजगी पैदा कर रही है।
वर्तमान में चल रहे अवैध निर्माणों पर नहीं है अधिकारियों की नजर
आवास विकास परिषद के अधिकारियों ने हाल ही में सिकंदरा और कमला नगर कालिंदी विहार जैसे क्षेत्रों में पुराने अवैध निर्माणों को लेकर नोटिस जारी किए हैं। हालांकि, वर्तमान में भी इन क्षेत्रों में बिना नक्शे और नियमों के अवैध निर्माण धड़ल्ले से हो रहे हैं। अधिकारियों का ध्यान इन पर नहीं है, और यह संदेह उत्पन्न कर रहा है कि क्या यह निर्माण भी एक दिन नोटिस खेल के शिकार बनेंगे, जैसे पहले के निर्माण हुए थे।
क्या अधिकारियों की मिलीभगत से बढ़े अवैध निर्माण?
अधिकारियों के संरक्षण में बने इन अवैध निर्माणों पर सवाल उठने लगे हैं। क्या अधिकारियों और चपरासियों की मिलीभगत से यह निर्माण संभव हुए? अगर सच में अधिकारियों का इस निर्माण प्रक्रिया में हाथ था, तो अब क्यों इन्हें नोटिस जारी किए जा रहे हैं? पूर्व में ऐसे निर्माणों को बड़े पैमाने पर बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के पूरा करवा लिया गया था। अब, कई आवंटी अपनी बिल्डिंगों के बारे में यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या वे गलत तरीके से पूरी हुईं हैं और अगर हां, तो क्या उनकी जांच होनी चाहिए?
क्या हो रहा है नए अवैध निर्माणों के साथ?
न सिर्फ पुराने अवैध निर्माण, बल्कि नए निर्माण भी बिना किसी मानचित्र के धड़ल्ले से हो रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, सेक्टर 5 एमआईजी में एक अस्पताल का निर्माण बिना कोई नोटिस दिए किया जा रहा है। इसी प्रकार, केला देवी चौराहे से चौधरी डेयरी की ओर जाते समय दो निर्माण कार्य बिना किसी कानूनी अनुमति के चल रहे हैं। यह दिखाता है कि न केवल पुराने बल्कि नए निर्माण भी उसी तरह हो रहे हैं, जैसे पहले थे, और अधिकारियों की तरफ से इन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है।
गलत नोटिस चस्पा कर क्या मदद कर रहे हैं अधिकारी?
हाल ही में एक नोटिस पदम प्राईड प्रोजेक्ट पर चस्पा किया गया, जिसमें ‘जी एच-1’ का उल्लेख था, जबकि अवैध निर्माण ‘जी एच-2’ में हो रहा था। इस गलती से यह सवाल उठने लगा कि क्या अधिकारी किसी तरह बिल्डर की मदद करना चाहते हैं या फिर उनका इरादा अवैध निर्माण को तोड़ने का नहीं है। यह मामला अब परिषद के अधिकारियों पर निर्भर करेगा कि वे इस नोटिस के बाद क्या कार्रवाई करते हैं।
मुख्यमंत्री के आदेश से पुलिस को मिला नया अधिकार
मुख्यमंत्री ने हाल ही में एक आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार पुलिस अब अवैध निर्माणों को रोकने में मदद कर सकेगी। इससे पहले, पुलिस सिर्फ नोटिस की कॉपी प्राप्त कर कार्रवाई करती थी, लेकिन अब पुलिस को यह आदेश दिया गया है कि वह सख्ती से अवैध निर्माणों को रोकें। अब यह देखना होगा कि पुलिस और आवास विकास परिषद के अधिकारी मिलकर इन निर्माणों को रोकने में कितनी प्रभावी भूमिका निभाते हैं।
क्या पुराने अवैध निर्माणों के खिलाफ भी होगी कार्रवाई?
आवास विकास परिषद के अधिकारियों के खिलाफ आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने पहले कई अवैध निर्माणों को सेटिंग के तहत पूरा होने दिया और अब जब नए अधिकारी आए हैं, तो वे इन्हें निशाना बना रहे हैं। अगर पुराने निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, तो यह स्पष्ट होगा कि पूर्व अधिकारी भ्रष्ट थे, जिन्होंने इन अवैध निर्माणों को पूरा होने दिया।
भावना टावर का मामला – क्या न्यायालय तक पहुंचेगा?
भावना टावर में हुए अवैध निर्माण की शिकायत पहले ही की जा चुकी थी, लेकिन अधिकारियों ने उस पर ध्यान नहीं दिया। अंततः शिकायतकर्ताओं को न्यायालय का रुख करना पड़ा। इस मामले में अब यह सवाल उठता है कि क्या न्यायालय से कोई ठोस निर्णय आएगा और क्या इस तरह के निर्माणों को भविष्य में रोकने की कोई सख्त व्यवस्था की जाएगी?
अवैध निर्माणों पर सख्ती की जरूरत
आखिरकार, आवास विकास परिषद के अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि शहर में अवैध निर्माणों की रोकथाम हो सके। सिर्फ नोटिस जारी करना पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि इन निर्माणों को स्थायी रूप से रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाए कि अधिकारियों और बिल्डरों के बीच कोई भी अनियमितता न हो और हर निर्माण कानूनी प्रक्रिया के तहत हो।
क्या आने वाले समय में अवैध निर्माणों के खिलाफ और कार्रवाई होगी? यह सवाल अब शहरवासियों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है।