नायब तहसीलदार ने 4 मार्च को अवैध कब्जा हटाने के दिए थे निर्देश, फिर भी कार्रवाई नहीं
सत्ताधारी दल के राजनेता के संरक्षण में कब्जाधारियों को मिल रहा सहारा, ग्रामीणों में आक्रोश
आगरा। जनपद की तहसील किरावली के ग्राम पंचायत लोहकरेरा, थाना सिकंदरा क्षेत्र में ग्राम समाज की बेशकीमती भूमि पर अवैध कब्जे का मामला सामने आया है। इस संबंध में शिकायत मिलने पर 4 मार्च को नायब तहसीलदार ने मौके का निरीक्षण किया और कब्जा हटाने के निर्देश देते हुए उपजिलाधिकारी को रिपोर्ट सौंपी थी। लेकिन इसके बावजूद अवैध कब्जा जस का तस बना हुआ है, जिससे प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं।ग्राम लोहकरेरा निवासी दीवान सिंह ने 20 फरवरी को IGRS पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई थी कि कुछ दबंग लोग ग्राम समाज की करोड़ों रुपये की जमीन पर अवैध रूप से मिट्टी डालकर कब्जा कर रहे हैं। शिकायत पर संज्ञान लेते हुए नायब तहसीलदार चर्चिता गौतम एवं राजस्व निरीक्षक ने मौके पर जाकर निरीक्षण किया। जांच में सामने आया कि रात 11 बजे से 2 बजे तक अवैध रूप से मिट्टी डाली जा रही थी। हालांकि, अधिकारियों ने केवल चेतावनी देकर रिपोर्ट उपजिलाधिकारी को भेज दी, लेकिन कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई।
शिकायतकर्ता की दोबारा शिकायत
शिकायतकर्ता दीवान सिंह ने 5 मार्च को उपजिलाधिकारी को दोबारा लिखित शिकायत दी। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासनिक निरीक्षण के बावजूद दबंगों ने फिर से ग्राम समाज की भूमि पर अवैध कब्जा जारी रखा है। यही नहीं, आरोपितों ने पूर्व में भी सरकारी भूमि पर अवैध रूप से मार्केट स्थापित कर लिया था, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
सत्ताधारी नेता का संरक्षण?
ग्राम समाज की कीमती जमीन पर कब्जा करने में सत्ताधारी दल के एक नेता के संरक्षण में होने की चर्चा ग्रामीणों के बीच जोर पकड़ रही है। ग्रामीणों का कहना है कि जब निरीक्षण के दौरान अवैध कब्जे की पुष्टि हो चुकी थी, तो विधिक कार्रवाई क्यों नहीं की गई? क्या इसमें किसी प्रकार का राजनीतिक दबाव है? क्या सरकारी भूमि पर इसी तरह कब्जा होता रहेगा, और प्रशासन सिर्फ रिपोर्ट बनाकर चुप बैठ जाएगा?
इनका कहना है
“शिकायत के आधार पर निरीक्षण किया गया था, जिसकी रिपोर्ट तलब की गई है। फिलहाल कोई अवैध गतिविधि संचालित नहीं हो रही है। यदि कोई व्यक्ति अवैध कब्जे में लिप्त पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
– राजेश कुमार जायसवाल, उपजिलाधिकारी, किरावली
अब क्या होगा?प्रशासन की इस लचर कार्यप्रणाली से ग्रामीणों में आक्रोश है। अब देखना यह होगा कि क्या अधिकारियों द्वारा कोई ठोस कार्रवाई की जाएगी या यह मामला भी सरकारी फाइलों में दबकर रह जाएगा।