शहर से लेकर देहात तक अधिकतम सवारियाँ भरकर फर्राटा भर रहे टैम्पो; यातायात विभाग की नाकामी या चालक की मनमानी?

Arjun Singh
3 Min Read
शहर से लेकर देहात तक अधिकतम सवारियाँ भरकर फर्राटा भर रहे टैम्पो; यातायात विभाग की नाकामी या चालक की मनमानी?

आगरा: आगरा में टैम्पो चालकों की मनमानी एक बार फिर से सड़कों पर नजर आ रही है। ज्यादा मुनाफे के चलते ये चालक अपनी गाड़ियों में अतिरिक्त सीटें लगाकर सवारियों की संख्या बढ़ाते जा रहे हैं, जिससे यात्री की जान जोखिम में पड़ रही है। हालांकि, यातायात विभाग समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाकर इन चालकों को चेतावनी भी देता है और उनके खिलाफ कार्रवाई करता है, लेकिन कुछ समय बाद यह समस्या फिर से लौट आती है।

अतिरिक्त सीटों से बढ़ती समस्या

ज्यादा मुनाफे के लालच में, टैम्पो चालकों ने अपनी गाड़ियों में आगे अतिरिक्त सीटें लगा रखी हैं, जिसके कारण तीन-तीन सवारियाँ बैठाकर फर्राटा भर रहे हैं। यह नजारा शहर के प्रमुख चौराहों पर आम हो गया है, जहां सुबह से लेकर रात तक सवारियों को बिठाया जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि ये सवारियाँ यातायात पुलिसकर्मियों के सामने भी बैठाई जा रही हैं, लेकिन यातायात पुलिस की तरफ से इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।

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अतीत में हुए हादसे

ऑटो चालकों की इस मनमानी के कारण पूर्व में कई खतरनाक हादसे हो चुके हैं। बड़े-बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक को इस लापरवाही का शिकार होना पड़ा है। एक गंभीर हादसा सिकंदरा क्षेत्र में हुआ था, जिसमें एक पिता और उनके दो मासूम बच्चे अपनी जान से हाथ धो बैठे थे। इस हादसे में ऑटो पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। बावजूद इसके, कुछ समय के लिए कार्रवाई की गई, लेकिन फिर वही हालात नजर आने लगे, जब फिर से सवारीयों को आगे बिठाकर और अतिरिक्त सीटें लगाकर वाहन दौड़ाए जा रहे हैं।

मुनाफे का लालच और नियमों की अनदेखी

ऑटो चालकों द्वारा अतिरिक्त सीटें लगवाने का मुख्य कारण ज्यादा मुनाफा कमाना है। यातायात नियमों के अनुसार, एक ऑटो में केवल 3 से 4 सवारियाँ ही बैठाई जा सकती हैं, लेकिन चालकों ने मनमानी करते हुए गाड़ियों में आगे अतिरिक्त सीटें लगवा दी हैं और तीन से चार सवारियाँ बैठाई जा रही हैं। यह अतिरिक्त सीटें सिर्फ मुनाफे का जरिया बनी हुई हैं, लेकिन इसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है।

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क्या फिर से जागेगा कानून?

यातायात विभाग ने कई बार जागरूकता अभियान चलाए हैं, लेकिन इसके बाद भी यह समस्या नहीं थमती। सवाल यह उठता है कि क्या फिर से किसी बड़े हादसे के बाद यातायात विभाग इस पर सख्त कार्रवाई करेगा? क्या फिर से कुछ समय के लिए जागरूकता अभियान चलाकर उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा? यह एक गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि जब तक प्रशासन इस पर सख्त कदम नहीं उठाएगा, तब तक इन दुर्घटनाओं में इजाफा होना तय है।

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