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अभाविप ने फूंका रामजीलाल सुमन का पुतला, पुलिस और कार्यकर्ता आए आमने-सामने

Raj Parmar
4 Min Read
अभाविप ने फूंका रामजीलाल सुमन का पुतला, पुलिस और कार्यकर्ता आए आमने-सामने

आगरा: आगरा में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के कार्यकर्ताओं ने आज समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन द्वारा राणा सांगा पर किए गए विवादित बयान का विरोध किया। इस विरोध प्रदर्शन के तहत कार्यकर्ताओं ने राजामंडी बाजार से पैदल मार्च निकाला और सेंट जॉन्स चौराहे पर रामजीलाल सुमन का पुतला फूंका। पुतला दहन के साथ जमकर नारेबाजी की गई, जिसमें कार्यकर्ताओं का आक्रोश साफ देखा गया।

पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच झड़प

राजामंडी बाजार से सेंट जॉन्स चौराहे तक बढ़ते हुए अभाविप कार्यकर्ता रामजीलाल सुमन के आवास की ओर बढ़ रहे थे, तभी पुलिस ने चौराहे पर बैरिकेटिंग लगाकर उन्हें रोकने की कोशिश की। इसके बाद कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प हो गई। इस बीच, कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन को और तेज करते हुए सेंट जॉन्स चौराहे पर पुतला दहन किया और देश विरोधी बयान के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।

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राणा सांगा पर दिए गए बयान की आलोचना

राणा सांगा पर राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन द्वारा की गई टिप्पणी के बाद देशभर में रोष फैल गया है। अभाविप ने इस बयान को देश को तोड़ने वाला और समाज को बांटने वाला करार देते हुए इसकी कड़ी निंदा की। अभाविप ने अपने बयान में कहा कि राणा सांगा जैसे महान योद्धा के बारे में इस तरह के अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करना अक्षम्य है।

अभाविप नेताओं की प्रतिक्रिया

राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य शुभम कश्यप ने कहा, “राणा सांगा ने 100 युद्ध लड़े और केवल एक युद्ध में पराजय का सामना किया। उन्होंने 80 घाव झेले, लेकिन अंत तक भारत को विदेशी आक्रमणकारियों से बचाए रखा। अगर राज्यसभा सांसद ने यह कहा कि राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाया था, तो यह पूरी तरह से गलत है। दौलत खान लोधी ने बाबर को आमंत्रित किया था, न कि राणा सांगा। जो लोग ऐसे बयान देते हैं, वे देश के सबसे बड़े गद्दार हैं।”

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महानगर मंत्री शिवांग खंडेलवाल ने इस टिप्पणी को निंदनीय बताते हुए कहा कि, “यह बयान देश की महान विभूति के खिलाफ है और यह देश की संसद में दिया गया। अगर सांसद सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते, तो हम अभाविप के कार्यकर्ता संसद के बाहर उनका पुतला फूंकेंगे।”

प्रांत सहमंत्री पुनीत कश्यप ने कहा, “इतिहास का अधूरा ज्ञान रखने वाले व्यक्ति को संसद में बैठने का कोई अधिकार नहीं है। संसद हमारे चुने हुए प्रतिनिधियों का स्थान है, और वहां से इस तरह के देश और समाज को बांटने वाले बयान देना बहुत ही अफसोसजनक है।”

समाज में आक्रोश और विरोध

इस विरोध प्रदर्शन में अभाविप के कई प्रमुख कार्यकर्ता शामिल थे, जिनमें महानगर संगठन मंत्री गौरव यादव, सिद्धार्थ उपाध्याय, कर्मवीर बघेल, सुब्रत हरदेनिया, सुमित शर्मा, आकाश शर्मा, सोमेश, दीपक कश्यप, उमंग तिवारी, हर्ष चौधरी, गुलशन, टीना, श्वेता, ईशा, दीक्षा, देवपीयूष, अक्षत, आशीष, हिमांशु, शुभ्रांशु, नितिन, गोविंद, सागर, लक्की, अरुण, प्रियांशु, रचित और प्रांजल आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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अभाविप ने इस पूरे मामले में राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन के बयान के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया और इस बयान को समाज और देश को तोड़ने वाला बताया। यदि सांसद ने सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगी तो अभाविप ने स्पष्ट किया कि वे आगे भी इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। अभाविप ने सांसद के बयान की कड़ी निंदा करते हुए इसे भारतीय इतिहास, समाज और संस्कृति का अपमान बताया।

 

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