सात समंदर पार से आई बेटी की गुहार पर यूपी पुलिस ने दिखाया मुस्तैदी, 25 मिनट में गुमशुदा बुजुर्ग को किया ढूंढ निकाला
लखनऊ: यूपी पुलिस ने एक बार फिर अपनी तत्परता और मुस्तैदी से देश-विदेश में अपनी छवि को और मजबूत किया है। इस बार यह दिल को छूने वाली घटना कानपुर से सामने आई, जहां मुंबई निवासी कमलेश पांडे के गुम हो जाने के बाद उनकी बेटी ने यूपी पुलिस से मदद मांगी और महज 25 मिनट में पुलिस ने बुजुर्ग को ढूंढ निकाला।
कमलेश पांडे अपनी पत्नी सुनीता देवी के साथ हाल ही में कामाख्या देवी के दर्शन करने गए थे और वापसी के दौरान हावड़ा एक्सप्रेस से कानपुर के गोविंदनगर स्टेशन पहुंचे थे। लेकिन देर रात ट्रेन से उतरने के बाद वे रास्ता भटक गए। जब ट्रेन भिंड स्टेशन के पास पहुंची, तो उनकी पत्नी और रिश्तेदार को एहसास हुआ कि कमलेश पांडे ट्रेन में नहीं हैं। यह स्थिति उनके लिए बहुत घबराहट भरी थी। उन्होंने तुरंत अमेरिका में अपने बेटे और बेटी को फोन करके इस घटना की सूचना दी।
इस बीच, अमेरिका में रहने वाली बेटी ने गूगल पर गोविंदनगर थाने का सीयूजी नंबर (पुलिस का आधिकारिक नंबर) तलाश किया और रात 3 बजे यूपी पुलिस के इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार सिंह से संपर्क किया। उन्होंने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि उनके पिता कानपुर में गुम हो गए हैं और परिवार परेशान है। इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार ने बेटी से कमलेश पांडे की फोटो मंगवाई और तुरंत अपनी टीम को तलाश शुरू करने का निर्देश दिया।
मात्र 25 मिनट में गुमशुदा बुजुर्ग को ढूंढ निकाला
यूपी पुलिस ने अपनी तेज़ कार्रवाई से महज 25 मिनट में कमलेश पांडे को गोविंदनगर स्टेशन के पास से ढूंढ निकाला। इसके बाद, इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार सिंह ने अमेरिका में बेटी को फोन करके उन्हें यह सुखद खबर दी कि उनके पिता सुरक्षित हैं। इस पर परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
बेटी की प्रतिक्रिया
बेटी ने यूपी पुलिस की इस फुर्ती की तारीफ करते हुए कहा, “यूपी पुलिस तो अमेरिका की पुलिस से भी तेज निकली! इसने हमें उम्मीद और राहत दी, और हमें यह दिखा दिया कि जब पुलिस सही तरीके से काम करती है तो परिवार की दुनिया बदल सकती है।”
सोशल मीडिया पर यूपी पुलिस की तारीफ
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर यूपी पुलिस की तारीफ हो रही है। लोगों ने यूपी पुलिस की तत्परता और जिम्मेदारी को सराहा है। यह घटना साबित करती है कि पुलिस की सही समय पर की गई कार्रवाई न केवल किसी परिवार को राहत पहुंचाती है, बल्कि समाज में विश्वास भी पैदा करती है।