अजमेर दरगाह के खादिमों के बीच वक्फ अमेंडमेंट बिल के समर्थन को लेकर विवाद गहरा गया, अंजुमन ने सलमान चिश्ती और नासिरुद्दीन पर आरोप लगाए।
अजमेर: अजमेर दरगाह के खादिमों (देखभाल करने वालों) के बीच वक्फ (संशोधन) बिल 2024 को लेकर विवाद गहरा गया है। दरगाह के खादिमों की प्रमुख संस्था अंजुमन ने उन सदस्यों की कड़ी निंदा की है, जिन्होंने इस बिल का समर्थन किया है। अंजुमन ने उन्हें ‘गैर-राज्यीय तत्व’ करार दिया और आरोप लगाया कि वे मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं।
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
विवाद तब शुरू हुआ जब दरगाह के खादिम सलमान चिश्ती ने वक्फ (संशोधन) बिल का समर्थन किया और इसे मुस्लिम समुदाय के लिए प्रगतिशील बताया। सलमान चिश्ती के इस बयान ने मामला गरमा दिया, जब केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सलमान चिश्ती के लेख को ‘सूझबूझ भरा’ बताते हुए सार्वजनिक रूप से शेयर किया।
इस बयान के बाद, अंजुमन के सदस्य और खादिम इस मुद्दे पर बंट गए, और इसके बाद विवाद और भी बढ़ गया।
अंजुमन सचिव सरवर चिश्ती का बयान
अंजुमन के सचिव सरवर चिश्ती ने सलमान चिश्ती के बयान की निंदा करते हुए कहा कि सलमान चिश्ती के पास इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से बोलने का अधिकार नहीं था, क्योंकि वह दरगाह के 5,000 खादिमों में से एक हैं और उनका व्यक्तिगत बयान संस्था के सामूहिक फैसले के खिलाफ है।
उन्होंने कहा, “ख़ादिमों की संस्था पहले ही इस बिल के खिलाफ प्रस्ताव पास कर चुकी है, ऐसे में सलमान चिश्ती व्यक्तिगत राय नहीं थोप सकते। उन्होंने खादिमों के नाम का गलत इस्तेमाल किया है।”
सलमान चिश्ती को ‘दरगाह प्रमुख’ नहीं मानते सरवर चिश्ती
सरवर चिश्ती ने यह भी स्पष्ट किया कि सलमान चिश्ती खुद को ‘दरगाह प्रमुख’ के रूप में पेश कर रहे हैं, जबकि वह सिर्फ एक खादिम हैं और दरगाह के प्रमुख नहीं हैं। उन्होंने कहा, “मुझे उनकी व्यक्तिगत राय से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वह खुद को दरगाह प्रमुख बताकर संस्था के फैसले के खिलाफ बयान नहीं दे सकते।”
नासिरुद्दीन पर भी आपत्ति
अंजुमन के सचिव सरवर चिश्ती ने दरगाह के दीवान जैनुल आबेदीन अली खान के बेटे नासिरुद्दीन की भी आलोचना की और कहा कि उन्होंने भी इस बिल का समर्थन किया है, जो मुस्लिम समुदाय के सामूहिक हितों के खिलाफ है। सरवर चिश्ती ने यह भी दोहराया कि इन व्यक्तियों का व्यवहार ‘गैर-राज्यीय तत्वों’ जैसा है और ये मुस्लिम समुदाय के हितों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
अजमेर दरगाह के खादिमों के बीच यह विवाद वक्फ (संशोधन) बिल 2024 पर मतभेदों के कारण और भी गहरा गया है। अंजुमन की ओर से उठाए गए इस मुद्दे ने पूरे समुदाय में एक नई बहस को जन्म दिया है, जिसमें दरगाह के फैसले और खादिमों के अधिकारों पर चर्चा हो रही है। यह विवाद इस बात को लेकर है कि क्या वक्फ अमेंडमेंट बिल मुस्लिम समुदाय के हित में है या नहीं, और क्या इस पर सार्वजनिक रूप से बोलने का अधिकार सिर्फ एक ही पक्ष को होना चाहिए।