आगरा: चैत्र नवरात्र 2025 का शुभारंभ 30 मार्च से होने जा रहा है। यह विशेष अवसर न केवल मां दुर्गा की पूजा का है, बल्कि हिंदू नववर्ष का भी प्रारंभ होता है। शास्त्रों के अनुसार, चैत्र नवरात्र का अत्यधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, जिसमें देवी के नौ रूपों की उपासना की जाती है।
चैत्र नवरात्र वसंत ऋतु के समय आता है और इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। यह पर्व खासतौर पर उपासकों को मानसिक और शारीरिक शुद्धता, आध्यात्मिक उन्नति और समृद्धि प्रदान करने के लिए मनाया जाता है।
चैत्र नवरात्र का महत्व
चैत्र नवरात्र का धार्मिक महत्व न केवल देवी दुर्गा की पूजा में है, बल्कि हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी इसी दिन होती है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नवसंवत्सर की शुरुआत होती है, और इसे मनाने का अपना ही महत्व है। इन नौ दिनों के दौरान उपवास, ध्यान और भजन-कीर्तन से मानसिक शुद्धता और ऊर्जा मिलती है। चैत्र नवरात्र के अंतिम दिन भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया जाता है, जो इस पर्व को और भी खास बनाता है।
चैत्र नवरात्र 2025 तिथि
पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च को शाम 04:27 बजे से लेकर 30 मार्च को दोपहर 12:49 बजे तक रहेगी। इसके बाद, 30 मार्च को चैत्र नवरात्र की शुरुआत होगी और यह 6 अप्रैल तक चलेगा।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्र की शुरुआत घटस्थापना या कलश स्थापना से होती है। इस साल, घटस्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त उपलब्ध होंगे:
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30 मार्च को सुबह 06:13 बजे से लेकर 10:22 बजे तक।
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इसके अलावा, 30 मार्च को दोपहर 12:01 बजे से लेकर 12:50 बजे तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा।
चैत्र नवरात्र का कैलेंडर 2025
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पहला दिन (30 मार्च) – मां शैलपुत्री की पूजा
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दूसरा दिन (31 मार्च) – मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
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तीसरा दिन (1 अप्रैल) – मां चंद्रघंटा की पूजा
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चौथा दिन (2 अप्रैल) – मां कूष्मांडा की पूजा
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पांचवां दिन (3 अप्रैल) – मां स्कंदमाता की पूजा
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छठवां दिन (4 अप्रैल) – मां कात्यायनी की पूजा
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सातवां दिन (5 अप्रैल) – मां कालरात्रि की पूजा
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आठवां दिन (6 अप्रैल) – मां गौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा
चैत्र नवरात्र का समय विशेष रूप से आत्मिक शुद्धता और शक्ति की प्राप्ति का होता है, जहां भक्त मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा कर अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन की कामना करते हैं।