अग्रभारत
ज्योतिष-आचार्य राहुल भारद्वाज जी ने बताया की इस बार होलिका दहन या छोटी होली 7 मार्च मंगलवार को वहीं फागोत्सव यानि रंगों की होली 8 मार्च बुधवार को मनाई जा रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन पूर्णिमा के दिन प्रदोष काल में अत्यंत शुभ माना जाता है तथा प्रतिपदा तिथि पर रंगों और गुलाल से होली खेली जाती है।
आचार्य राहुल भारद्वाज जी ने फाल्गुनी उत्सव के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि भारतवर्ष के अधिकांश प्रदेशों में फाल्गुन की पूर्णिमा मंगलवार को सांय 06:09 मिनट से पहले ही सूर्यास्त होने के कारण प्रदोषकाल लग जायेगा । स्मृतिशार ग्रन्थ के अनुसार यदि फाल्गुन की पूर्णिमा तिथि दो दिन प्रदोष को स्पर्श करे तब दूसरी पूर्णिमा में होलिका दहन किया जाना चाहिये तथा होलिका दहन प्रदोष काल में ही किया जाता है। ऐसे में फाल्गुन पूर्णिमा पर शाम के समय गोधूलि बेला में अगर भद्रा का प्रभाव हो तो होलिका दहन नहीं करना चाहिए। पूर्णिमा तिथि 6 मार्च सांय 04:17 मिनट से प्रारंभ होकर 7 मार्च सांय 06:09 मिनट तक रहेगी वहीं भद्रा काल का मुहूर्त 6 मार्च सायं 4:48 मिनट से 7 मार्च प्रातः 5:14 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। अतः होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 7 मार्च मंगलवार सांय 6:24 मिनट से रात्रि 8:51 मिनट तक रहेगा। धृति योग 6 मार्च रात्रि 08:54 से 7 मार्च रात्रि 9:14 तक रहेगा। इसके बाद शूल योग लगेगा। अभिजीत मुहूर्त प्रातः 11:46 से 12:33 तक,अमृत काल मुहूर्त सांय 07:22 से 09:07 तक रहेगा। इस दिन कुंभ राशि में सूर्य, बुध और शनि का त्रिग्रही योग बनेगा। इसी के साथ ही मीन राशि में गुरु और शुक्र की युति से भी शुभ योग बन रहे हैं। शुक्र के अपनी उच्च राशि में होने से मालव्य योग और गुरु के अपनी स्वराशि पर होने से हंस राजयोग बन रहा है। लंबे समय से किसी भी प्रकार के शारीरिक रोग से पीड़ित व्यक्ति को होलिका दहन की भस्मी का तिलक लगाने से रोग से मुक्ति मिलती है। आर्थिक समस्याओं से मुक्ति हेतु होलिका दहन वाले दिन घर के मुख्य द्वार पर हल्का गुलाल डालकर दो मुखी दीपक जलाना चाहिए।
सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ति के लिए विशेष उपाय – गोला 1 बड़ा, गोला 1 छोटा, कमल गट्टा 11, लौंग 11 जोड़ा, इलायची 11, सुपारी 5, पीली सरसों थोड़ी सी, गुग्गल थोड़ा सा, लोहबान थोड़ा सा, कपूर थोड़ा सा देशी घी थोड़ा सा, काले तिल थोड़े से, कलाबा की गुल्ली 1, लाल कंद 1 मीटर।