सितंबर ७ को लगने जा रहा है साल का पहला चंद्र ग्रहण – ज्योतिषाचार्य पंडित राहुल भारद्वाज 

Sumit Garg
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ज्योतिष – इस माह की बात ७ तारीख को चंद्र ग्रहण लगेगा।ज्योतिषाचार्य पंडित राहुल भारद्वाज ने बताया कि ७ सितंबर को चार घंटे तक पूर्ण चंद्र ग्रहण रहेगा।

संवत् २०८२ भाद्रपद शुक्ल पक्ष १५ रविवार को सम्पूर्ण भारत में चन्द्र ग्रहण होगा! भारतीय समय में इसका विरल छाया प्रवेश रात्रि ०८:५८, स्पर्श रात्रि ०६:५७, सम्मिलन रात्रि ११:०१, मध्य रात्रि ११:४२, उन्मीलन रात्रि शेष १२:२३, मोक्ष रात्रि शेष ०१:२७ एवं विरल छाया निर्गम रात्रि शेष ०२:२५ बजे होगा। इसका सूतक भारतीय समय से दिन में १२:५७ बजे से प्रारम्भ होगा। यह ग्रहण सम्पूर्ण भारत में दृश्य होगा! भारत सहित एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, यूरोप, अंटार्कटिका, पैसेफिक और इंडियन ओसियन में भी दश्य न में भी दृश्य होगा। जहां ग्रहण दृश्य होगा उन्हीं स्थानों पर ग्रहण से सम्बंधित वेध, सूतक, स्नान, दान, पुण्य, कर्म, यम, नियम मान्य होंगे

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ओसियन में भी दृश्य होगा। वैदिक आचार्य राहुल भारद्वाज जी ने बताया कि यह इस साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण है। खास बात यह है कि यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा और इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य होगा। यह एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जो कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में घटित होगा। खगोलविदों ने इसे ब्लड मून नाम दिया है, क्योंकि ग्रहण के दौरान चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देगा। विविध राशियों पर ग्रहण का शुभाशुभ प्रभाव यह कि- मेष राशि- सुखद लाभद सुयोगद। वृषभ सुख सम्पदा सूचक। मिथुन जीवनीय मानद रूप में न्यूनता। कर्क-प्रपीड़ा विकार कष्टद प्रभारक। सिंह- मानसिक चिन्तन मनोविकार खेद। कन्या- विकासप्रद सुयोगद प्रतिफल। तुला मनोविकार प्रवास चिन्तन। वृश्चिक – अपवाद, चिन्ता, खेद, प्रवास। धनु सुखद लाभद, योगकारक फलसूचक। मकर अपव्यय अपवाद, चिन्तन। कुंभ- शरीर विकार प्रपीड़ा कष्टद प्रभार सूचक। मीन-आर्थिक चिन्तन, अपव्यय, खेद, प्रवास। यह ग्रहण पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र तथा कुम्भ राशि मंडल पर मान्य है। अतः इस राशि व नक्षत्र वालों को ग्रहण दर्शन नहीं करना चाहिए। अपितु अपने इष्ट देव की आराधना गुरुमंत्र जप एवं धार्मिक ग्रन्थ का पठन-मनन करना चाहिए।

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आचार्य ने बताया कि पितृपक्ष की शुरुआत और यह चंद्र ग्रहण भाद्रपद मास की पूर्णिमा पर लग रही है। इसी दिन से पितृपक्ष की शुरुआत भी होगी। वैदिक आचार्य राहुल भारद्वाज का कहना है कि पूर्णिमा श्राद्ध और पितृकर्म सूतक काल शुरू होने से पहले ही कर लेना चाहिए।

 

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प्रभारी-दैनिक अग्रभारत समाचार पत्र (आगरा देहात)
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