विशेष: नवरात्रि में ही क्यों किया जाता है कन्या पूजन, क्या है इसका विशेष महत्व

Sumit Garg
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नवरात्रि के पावन महिने में मां दुर्गा की पूजा और उनके आगमन की तिथि के बाद अगर कोई अधिक महत्वपूर्ण तिथि है, तो वो है नवरात्रि का आखिरी दिन, जिसे दुर्गा अष्टमी और नवमी के रूप में जानते हैं आप

नवरात्रि 2023-नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व का बहुत ही बड़ा महत्व हैं। नवरात्रि के पावन महिने में मां दुर्गा की पूजा और उनके आगमन की तिथि के बाद अगर कोई अधिक महत्वपूर्ण तिथि है, तो वो है नवरात्रि का आखिरी दिन, जिसे दुर्गा अष्टमी और नवमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन, कन्याओं की पूजा करने की अद्भुत परंपरा है, जिसका महत्व बहुत अधिक है। आइए जानें कन्या पूजन का महत्व और प्राचीन कथाओं के साथ इसका क्या मतलब।

कन्या पूजन का महत्व प्राचीन शास्त्रों में उल्लिखित है, और यह एक प्राचीन कथा से जुड़ा हुआ है। शास्त्रों के अनुसार, इंद्रदेव ने माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उपाय पूछा था, और उन्हें ब्रह्मदेव ने सूझाव दिया कि कुमारी कन्याओं का पूजन करें और उनको भोजन कराएं। इस प्रथा के बाद से ही नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए कन्या पूजन कराया जाता है, और उनको भोजन कराया जाता है।

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क्या हैं नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व

नवरात्रि के आखिरी दिन को कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है, और इसके पीछे कई कारण हैं। शास्त्रों में इसे माता दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का एक उपाय माना गया है। कन्याओं की पूजा करने से माता रानी की कृपा उनके भक्तों पर बनी रहती है।
नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है, लेकिन दुर्गा अष्टमी और नवमी के दिन इसका महत्व और बढ़ जाता है। इन दिनों कन्याओं को पूजन कराकर उनको भोजन कराने से माता दुर्गा प्रसन्न होती है और उनके भक्तों को आशीर्वाद मिलता है।

क्या है कन्या पूजन का संदेश

कन्या पूजन का संदेश है कि हर स्त्री में देवी की भावना होती है, और हमें सभी स्त्रियों का सम्मान करना चाहिए। यह एक सामाजिक संदेश देता है कि हमें स्त्रियों का सम्मान करना चाहिए और उनके साथ सामंजस्य बनाना चाहिए।

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क्या है कन्या पूजन का संदेश

कन्या पूजन का संदेश है कि हर स्त्री में देवी की भावना होती है, और हमें सभी स्त्रियों का सम्मान करना चाहिए। यह एक सामाजिक संदेश देता है कि हमें स्त्रियों का सम्मान करना चाहिए और उनके साथ सामंजस्य बनाना चाहिए।

क्या है कन्या पूजन के अलग अलग आयु के महत्व

कन्या पूजन में अलग अलग आयु के महत्व होते हैं, और इसके साथ-साथ हर आयु की कन्या के लिए एक विशेष महत्व होता हैं। ज्योतिषाचार्य द्वारा इन विभिन्न आयु की कन्याओं की महत्वपूर्ण बातें बताई जाती हैं।

क्या हर आयु की कन्या का होता है अलग महत्व

ज्योतिषाचार्य के अनुसार 2 साल की कन्या को कुमारी कहा जाता है। इनकी पूजा से दुख और दरिद्रता खत्म होती है। 3 साल की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है। त्रिमूर्ति के पूजन से धन-धान्य का आगमन और परिवार का कल्याण होता है। 4 साल की कन्या कल्याणी मानी जाती है। इनकी पूजा से सुख-समृद्धि मिलती है। 5 साल की कन्या को रोहिणी माना गया है। इनकी पूजन से रोग-मुक्ति मिलती है। 6 साल की कन्या कालिका होती है। इनकी पूजा से विद्या और राजयोग की प्राप्ति होती है। 7 साल की कन्या को चंडिका माना जाता है। इनकी पूजा से ऐश्वर्य मिलता है। 8 साल की कन्या शांभवी होती है। इनकी पूजा से लोकप्रियता प्राप्त होती है। 9 साल की कन्या दुर्गा को दुर्गा कहा गया है। इनकी पूजा से शत्रु विजय और असाध्य कार्य सिद्ध होते हैं। 10 साल की कन्या सुभद्रा होती है। सुभद्रा के पूजन से मनोरथ पूर्ण होते हैं और सुख मिलता है।

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प्रभारी-दैनिक अग्रभारत समाचार पत्र (आगरा देहात)
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