देश के सबसे बड़े बैंक SBI को सुप्रीम कोर्ट से लगा झटका, ऑनलाइन ठगी का है मामला

Dharmender Singh Malik
5 Min Read
देश के सबसे बड़े बैंक SBI को सुप्रीम कोर्ट से लगा झटका, ऑनलाइन ठगी का है मामला

नई दिल्ली: भारत के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने बैंक को एक ऑनलाइन ठगी के मामले में फटकार लगाते हुए पीड़ित व्यक्ति को 94,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। आइए जानते हैं, यह पूरा मामला क्या है, और क्यों सुप्रीम कोर्ट ने SBI को आदेश दिया है।

पूरा मामला

यह कहानी असम के एक व्यक्ति की है, जिसने साल 2021 में लुइस फिलिप का एक ब्लेजर खरीदा था। कुछ समय बाद, उसे यह ब्लेजर पसंद नहीं आया, और उसने इसे लौटाने का निर्णय लिया। इस दौरान, लुइस फिलिप की वेबसाइट हैक हो गई और धोखेबाजों ने उस व्यक्ति से संपर्क किया। धोखेबाज ने खुद को लुइस फिलिप के कस्टमर केयर का प्रतिनिधि बताते हुए कहा कि ब्लेजर को लौटाने के लिए एक ऐप इंस्टॉल करना होगा।

जैसे ही इस व्यक्ति ने ऐप इंस्टॉल किया, धोखेबाज ने उसके बैंक खाते की जानकारी चुराकर उसे पूरी तरह से खाली कर दिया। इस व्यक्ति ने तुरंत SBI के हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क किया और शिकायत दर्ज कराई। बैंक ने खाता और कार्ड को ब्लॉक किया, लेकिन कोई और कार्रवाई नहीं की। इसके बाद इस व्यक्ति ने जलुकबारी पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराई और असम पुलिस के साइबर क्राइम सेल में भी शिकायत की। इसके बावजूद कोई ठोस कार्रवाई न होने पर इस व्यक्ति ने RBI ओम्बड्समैन, गुवाहाटी हाई कोर्ट, और अंत में सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया।

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SBI ने क्यों किया था इनकार?

SBI ने इस मामले में कई बार यह दावा किया कि धोखाधड़ी गूगल पे जैसे थर्ड-पार्टी ऐप के जरिए हुई थी, और गूगल पे पर बैंक का कोई नियंत्रण नहीं है। बैंक ने यह भी कहा कि उसने कभी भी अपने ग्राहकों को थर्ड-पार्टी ऐप्स के उपयोग की सलाह नहीं दी थी, इसलिए बैंक जिम्मेदार नहीं है। SBI ने ग्राहक को ही लापरवाही का दोषी ठहराते हुए कहा कि साइबर धोखाधड़ी से बचने के लिए ग्राहक को सावधानी बरतनी चाहिए थी।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

हालांकि, इस व्यक्ति ने हार मानने की बजाय न्याय के लिए संघर्ष जारी रखा। RBI ओम्बड्समैन से हारने के बाद, उसने गुवाहाटी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए SBI के खिलाफ फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि बैंक के पास आजकल बेहतरीन तकनीक और साइबर सुरक्षा प्रणालियाँ हैं, फिर भी वह इस तरह की धोखाधड़ी को रोकने में विफल रहा।

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सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जब पीड़ित ने 24 घंटे के अंदर ही धोखाधड़ी की सूचना SBI को दी थी, तो बैंक को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए थी। कोर्ट ने गुवाहाटी हाई कोर्ट के फैसले का समर्थन करते हुए SBI को 94,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया।

न्याय की जीत और बैंक के लिए चेतावनी

यह मामला न केवल एक व्यक्तिगत न्याय की जीत है, बल्कि यह देश भर के बैंकों के लिए भी एक चेतावनी है। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश यह बताता है कि डिजिटल धोखाधड़ी के मामलों में बैंकों की जिम्मेदारी केवल ग्राहकों तक सीमित नहीं हो सकती। बैंकों को साइबर सुरक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से लेना होगा और ग्राहकों की शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करनी होगी।

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SBI पर सख्त कदम की आवश्यकता

यह मामला यह भी उजागर करता है कि डिजिटल भुगतान के बढ़ते चलन के साथ बैंक और वित्तीय संस्थाओं को साइबर सुरक्षा के उच्च मानकों को बनाए रखना चाहिए। बैंकिंग सेक्टर में तकनीकी सुधार की आवश्यकता है, ताकि ग्राहकों को इस तरह की धोखाधड़ी से बचाया जा सके।

क्या है बैंक की जिम्मेदारी?

इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि बैंक केवल अपने ग्राहकों के खातों और ट्रांजेक्शंस की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार नहीं होते, बल्कि उन्हें ग्राहकों की साइबर धोखाधड़ी से भी बचाने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही, बैंक को अपनी सुरक्षा प्रणालियों को लगातार मजबूत करना होगा और ग्राहकों को इन खतरों से बचाने के लिए उचित मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करनी होगी।

 

 

 

 

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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