डेयरी बिजनेस से कमाएं सालाना ₹6 लाख तक नेट प्रॉफिट, सरकार करेगी 70% तक मदद!

Pradeep Yadav
5 Min Read
डेयरी बिजनेस से कमाएं सालाना ₹6 लाख तक नेट प्रॉफिट, सरकार करेगी 70% तक मदद!

नई दिल्ली: दूध, दही और अन्य डेयरी प्रोडक्ट का कारोबार हर मौसम में मुनाफे वाला होता है. इनकी मांग लगातार बढ़ रही है और कई बार तो सप्लाई कम पड़ जाती है. चाहे शहर हो या गांव, डेयरी उत्पाद लोगों के रोजमर्रा के जीवन का एक अहम हिस्सा हैं. अगर आप भी अपना खुद का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, तो केंद्र सरकार की मुद्रा योजना के तहत डेयरी प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाकर अच्छी कमाई कर सकते हैं. सरकार ने इस बिजनेस के लिए एक विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी तैयार की है, जिससे आप अपनी लागत और मुनाफे का सटीक अंदाजा लगा सकते हैं.

मुद्रा योजना के तहत 70% तक सरकारी सहायता

केंद्र सरकार प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तहत छोटे कारोबारियों की मदद कर रही है. जिन व्यवसायों के लिए बैंक आसानी से लोन देते हैं, उनमें डेयरी प्रोडक्ट का बिजनेस भी शामिल है. सरकार की प्रोजेक्ट रिपोर्ट के अनुसार, इस कारोबार को शुरू करने में जो भी खर्च आता है, उसका केवल 30 फीसदी ही उद्यमी को खुद लगाना होता है. बाकी 70 फीसदी के लिए बैंक से आसानी से लोन मिल जाता है. यह उन लोगों के लिए बेहतरीन मौका है जिनके पास पूंजी कम है लेकिन बिजनेस करने का जज्बा है.

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कितने तरह के प्रोडक्ट बना सकते हैं?

आप अपनी यूनिट में कई तरह के डेयरी प्रोडक्ट बना सकते हैं, जैसे:

  • पैकेट बंद दूध
  • पैकेज्ड दही
  • पैकेज्ड छाछ
  • पनीर
  • बटर मिल्क
  • घी
  • आइसक्रीम
  • फ्लेवर्ड मिल्क
  • और अन्य कई उत्पाद

बेहतर होगा कि आप अपना बिजनेस ऐसी जगह शुरू करें जहां से बाजार में उत्पादों की सप्लाई करना और बाजार का विस्तार करना आसान हो.

यूनिट के लिए आवश्यक जगह

इस तरह की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के लिए आपको लगभग 1000 वर्ग फुट जगह की आवश्यकता होगी, जिसमें विभिन्न सेक्शन शामिल हैं:

  • प्रॉसेसिंग एरिया: 500 वर्ग फुट
  • रेफ्रिजरेशन रूम: 150 वर्ग फुट
  • वाशिंग एरिया: 150 वर्ग फुट
  • ऑफिस एरिया: 100 वर्ग फुट
  • टॉयलेट: 100 वर्ग फुट
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लागत का अनुमान: ₹16 लाख का निवेश

सरकार की प्रोजेक्ट रिपोर्ट के अनुसार, इस बिजनेस को शुरू करने में कुल ₹16.50 लाख का खर्च आएगा. इसमें फिक्स्ड कैपिटल और वर्किंग कैपिटल दोनों शामिल हैं.

  • मशीनरी और इक्विपमेंट पर खर्च: लगभग ₹5.50 लाख का अनुमान है. इसमें क्रीम सेपरेटर, पैकिंग मशीन, बॉटल कैपिंग मशीन, केन कूलर, रेफ्रिजरेटर, वेइंग स्केल्स, फिलर्स, डिस्पेंसर, प्लास्टिक ट्रे, हीटिंग वेसेल आदि शामिल हैं.
  • टोटल फिक्स्ड कैपिटल: ₹10.50 लाख होगा. इसमें प्लांट मशीनरी, लैब इक्विपमेंट, ट्रांसपोर्ट व्हीकल, ऑफिस इक्विपमेंट, इलेक्ट्रिफिकेशन का खर्च, कंपनी फॉर्मेशन का खर्च और सेल्स टैक्स रजिस्ट्रेशन का खर्च आदि शामिल हैं. (यह मान लिया गया है कि जमीन और सिविल वर्क लीज पर है).
  • वर्किंग कैपिटल: लगभग ₹6 लाख की आवश्यकता होगी. इसमें सैलरी, रॉ मटेरियल का खर्च, पैकेजिंग मटेरियल पर खर्च, बिजली व पानी जैसे यूटिलिटीज का खर्च और आकस्मिक खर्च आदि शामिल हैं.

फाइनेंस और खर्च का ब्रेक-अप:

  • खुद के पास से निवेश: ₹4.93 लाख (लगभग 30%)
  • टर्म लोन (बैंक से): ₹7.35 लाख
  • वर्किंग कैपिटल लोन (बैंक से): ₹4.16 लाख
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₹6 लाख सालाना नेट प्रॉफिट का अनुमान!

यदि आप इस योजना और आवश्यक रॉ मटेरियल के साथ मैन्युफैक्चरिंग शुरू करते हैं, तो प्रतिदिन 500 लीटर दूध की प्रोसेसिंग हो सकेगी. इससे तैयार उत्पादों से आपका सालाना टर्नओवर ₹82 लाख तक पहुंच सकता है.

  • कुल प्रोडक्शन कॉस्ट: ₹74 लाख
  • कुल सालाना आय (ग्रॉस प्रॉफिट): ₹8.36 लाख
  • टैक्स व अन्य खर्च (25%): ₹2.09 लाख
  • सालाना नेट इनकम: ₹6.27 लाख

इस लिहाज से, आप हर महीने ₹50,000 से अधिक की शुद्ध आय कमा सकते हैं.

ध्यान दें: यह प्रोजेक्ट रिपोर्ट कुछ साल पहले बनाई गई थी. अगर अब महंगाई के हिसाब से लागत बढ़ती है, तो उसी अनुपात में उत्पाद की लागत और लाभप्रदता भी बढ़ेगी. कहने का मतलब है कि अगर कुल प्रोजेक्ट कॉस्ट 33 लाख रुपये होता है, तो सालाना मुनाफा उसी अनुपात में 12 लाख रुपये होगा.

 

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