नई दिल्ली । मजबूत वैश्विक संकेतों के बावजूद भारतीय शेयर बाजारों में पिछले सप्ताह 2 ट्रेडिंग सेशन में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। शुक्रवार को निफ्टी और सेंसेक्स में 2 फीसदी तक गिरावट दर्ज की गई। फॉर्मा को छोड़कर सभी सेक्टर्स में बिकवाली हावी रही। गिरावट की सबसे बड़ी वजह बजट को लेकर निवेशकों का सतर्क रुख है। यही वजह है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेश्कों (एफपीआई) ने इस महीने अब तक भारतीय शेयर बाजारों से शुद्ध रूप से 17000 करोड़ रुपये से ज्यादा निकाले हैं।
वहीं चीनी बाजारों के आकर्षण और आम बजट व अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की बैठक से पहले एफपीआई ने सतर्कता का रुख अपनाया है। इससे पहले एफपीआई ने दिसंबर में भारतीय शेयरों में 11119 करोड़ रुपये और नवंबर में 36239 करोड़ रुपये डाले थे। कुल मिलाकर एफपीआई ने 2022 में भारतीय शेयर बाजारों से 1.21 लाख करोड़ रुपये निकाले थे।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा एफपीआई सतर्क रुख अपना रहे हैं। वे एक फरवरी को आने वाले आम बजट और फेडरल रिजर्व की बैठक से पहले सतर्कता का रुख अपना रहे हैं। फेडरल रिजर्व की मौद्रिक समिति की बैठक 31 जनवरी और 1 फरवरी को होगी। श्रीवास्तव ने कहा कि इसके अलावा एफपीआई लॉकडाउन के बाद बाजार फिर से खुलने के बाद से चीन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। अपनी जीरो कोविड पॉलिसी के तहत चीन ने सख्त लॉकडाउन लगाया हुआ था। इसके चलते चीन के बाजारों में गिरावट आई है और वे मूल्य के लिहाज से आकर्षक हो गए हैं।
वहीं निवेशक यह उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर अपने खर्च को जारी रखेगी और निजी क्षेत्र से अधिक धन आकर्षित करने के नए उपायों का ऐलान करेगी। लेकिन अगर बाजार की उम्मीदें पूरी नहीं होती हैं तो बाजार में गिरावट देखने को मिल सकती है।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि जनवरी में एफपीआई की रणनीति भारत में बिकवाली और चीन हांगकांग दक्षिण कोरिया और थाइलैंड जैसे कमोबेश सस्ते बाजारों में लिवाली की। इस महीने एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड प्रतिभूतियों में 3685 करोड़ रुपये का निवेश किया है। भारत के अलावा इंडोनेशिया के बाजार से भी एफपीआई ने निकासी की है। वहीं फिलिपीन दक्षिण कोरिया और थाइलैंड जैसे बाजारों में वे लिवाल रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों विशेष रूप से फेडरल रिजर्व द्वारा आक्रामक दरों से ब्याज दरों में वृद्धि कच्चे तेल की कीमतों के उतार-चढ़ाव जिंसों के ऊंचे दाम और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से पिछले साल एफपीआई बिकवाल बने रहे। इससे पिछले 3 साल के दौरान एफपीआई भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध लिवाल रहे थे। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक एफपीआई ने इस महीने (27 जनवरी तक) शेयरों से 17023 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की है।