आगरा। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया के लिए खतरे की घंटी बज गई है। बीते पांच वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट में कंपनी का दबदबा लगातार कम होता जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में 48% बाजार हिस्सेदारी रखने वाली मारुति सुजुकी का शेयर वित्त वर्ष 2024-25 में घटकर मात्र 41% रह गया है।
यह गिरावट सिर्फ मारुति सुजुकी के लिए ही चिंता का विषय नहीं है, बल्कि देश की दूसरी सबसे बड़ी कार कंपनी हुंडई मोटर इंडिया को भी इसी तरह की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। हुंडई का मार्केट शेयर भी इसी अवधि में 17% से गिरकर 14% पर आ गया है।
इसके विपरीत, घरेलू वाहन निर्माता महिंद्रा एंड महिंद्रा और टाटा मोटर्स ने भारतीय बाजार में तेजी से अपनी पकड़ मजबूत की है। पांच साल पहले 6% बाजार हिस्सेदारी वाली महिंद्रा अब 13% पर पहुंच गई है, जबकि टाटा मोटर्स ने भी 8% से बढ़कर 13% की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की है।
अगर पैसेंजर व्हीकल मार्केट की समग्र थोक बिक्री की बात करें तो वित्त वर्ष 2024-25 में इसमें केवल 2% की मामूली वृद्धि हुई है, जबकि मारुति सुजुकी का शेयर 40.9% तक गिर गया है, जो 2012-13 के बाद का सबसे निचला स्तर है। वहीं, हुंडई का 14% का शेयर 2012-13 के स्तर पर ही है, जबकि 2015-16 में कंपनी ने 17% तक की बाजार हिस्सेदारी हासिल की थी।
इन बड़ी कंपनियों के मार्केट शेयर में यह गिरावट ऐसे समय में दर्ज की गई है, जब भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा पैसेंजर व्हीकल मार्केट बन चुका है, जो केवल अमेरिका और चीन से पीछे है। नई कंपनियों से मिल रही कड़ी टक्कर और बदलते बाजार परिदृश्य में मारुति सुजुकी और हुंडई के लिए अपनी बादशाहत को बचाए रखना एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है।