जापान के शेयर मार्केट में भारी गिरावट देखने को मिली, जबकि चीन और हांगकांग के शेयर बाजारों में तेजी का सिलसिला जारी है। इस लेख में हम जानेंगे कि जापान के शेयर मार्केट में गिरावट की वजह क्या है, चीन के बाजार में तेजी का कारण क्या है, और इन दोनों फैक्टर का भारतीय शेयर बाजार पर क्या असर पड़ेगा।
जापान के शेयर मार्केट में गिरावट
जापान के Nikkei Index में सोमवार को शुरुआती कारोबार में लगभग 5 फीसदी की गिरावट आई। यह गिरावट मुख्य रूप से राजनीतिक बदलाव के कारण हुई है। जापान के सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेट्स ने पूर्व रक्षा मंत्री शिगेरू इशिबा को नया प्रधानमंत्री चुना है। इशिबा का चुनाव मौजूदा प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की गिरती लोकप्रियता के कारण हुआ है। इशिबा ने कहा है कि वह जापान की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए किशिदा की नीतियों का अनुसरण करेंगे, लेकिन निवेशकों को इस बदलाव में अनिश्चितता नजर आ रही है।
चीन का शेयर मार्केट तेज
वहीं, चीन का स्टॉक मार्केट लगातार तेज़ी से बढ़ रहा है। शंघाई कंपोजिट इंडेक्स ने लगभग 6 फीसदी की बढ़त दर्ज की है। चीनी सरकार ने रियल एस्टेट सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए राहत पैकेज की घोषणा की है, जिसका सकारात्मक असर बाजार पर देखने को मिला है। इस सप्ताह के भीतर हैंग सेंग और शंघाई में 13 फीसदी से अधिक की वृद्धि हो चुकी है। रियल एस्टेट सेक्टर की बॉरोइंग कॉस्ट कम करने के प्रयास भी इस तेजी का हिस्सा हैं।
भारत पर असर
जापान के शेयर मार्केट में गिरावट का भारतीय शेयर मार्केट पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, जैसा कि पहले भी ‘येन कैरी ट्रेड’ के दौरान देखा गया था। हालांकि, इस बार स्थिति भिन्न है क्योंकि जापान में गिरावट की मुख्य वजह राजनीतिक उथल-पुथल है, और जैसे-जैसे राजनीतिक स्थिति सामान्य होगी, जापानी बाजार में सुधार की संभावना है।
चीन के तेजी से बढ़ते बाजार का भारतीय बाजार पर मिश्रित असर हो सकता है। यदि चीन का रियल एस्टेट मार्केट सुधरता है, तो इसका मतलब है कि भारत में स्टील जैसे उत्पादों की कीमतें स्थिर रह सकती हैं, जिससे भारतीय उद्योग को फायदा होगा। दूसरी ओर, यदि चीन में विकास दर बढ़ती है, तो विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारतीय बाजार से पैसे निकालकर चीन की ओर रुख कर सकते हैं, जो भारतीय बाजार के लिए एक चिंता का विषय हो सकता है।
इस समय जापान के शेयर मार्केट में गिरावट और चीन के बाजार में तेजी, दोनों ही भारतीय शेयर बाजार पर प्रभाव डाल सकते हैं। निवेशकों को इन परिस्थितियों का ध्यान रखते हुए अपने निवेश के निर्णय लेने चाहिए। आगे आने वाले समय में राजनीतिक स्थिरता और चीन की आर्थिक स्थिति भारतीय बाजार के लिए महत्वपूर्ण फैक्टर साबित हो सकती है।