नई दिल्ली: 20 जनवरी 2025 को डोनाल्ड ट्रंप के शपथ लेने के बाद, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट को लेकर भारत समेत अन्य देशों की उम्मीदें एक बार फिर से बढ़ गई हैं। खासकर उन देशों के लिए जो अपनी जरूरत का 70 फीसदी से ज्यादा तेल इंपोर्ट करते हैं, जैसे भारत। इस संभावना को लेकर देश के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री, हरदीप सिंह पुरी ने भी संकेत दिए हैं कि अमेरिकी क्रूड ऑयल प्रोडक्शन में इजाफा होने से तेल की कीमतें कम हो सकती हैं।
अमेरिका में क्रूड ऑयल प्रोडक्शन में इजाफा
डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के तहत, उम्मीद जताई जा रही है कि अमेरिका एक बार फिर से क्रूड ऑयल प्रोडक्शन बढ़ाएगा। जिससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की सप्लाई ज्यादा होगी और कीमतें नियंत्रित हो सकेंगी। इससे उन देशों को फायदा होगा जो अपनी ऊर्जा जरूरतों का 70 फीसदी से अधिक तेल आयात करते हैं, और भारत इन देशों में प्रमुख है।
भारत में अमेरिकी तेल की सप्लाई बढ़ने की संभावना
हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिकी तेल और गैस उत्पादन में अधिकतम वृद्धि की संभावना है। इसके तहत, भारत को अमेरिकी तेल सप्लाई में इजाफा होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि पहले भारत को तेल आपूर्ति करने वाले देशों की संख्या 27 से बढ़कर अब 39 हो गई है। यदि अमेरिकी तेल की सप्लाई और बढ़ती है, तो भारत इसका स्वागत करेगा।
तेल की कीमतों में गिरावट की संभावना
पुरी ने यह भी कहा कि ट्रंप प्रशासन के कदमों को लेकर सरकार सावधानी से नजर रखे हुए है। हालांकि, उन्होंने यह संकेत दिया कि अगर अमेरिकी तेल मार्केट में और अधिक सप्लाई करता है, तो इससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है। साथ ही, भारत में पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी आ सकती है, जिससे महंगाई पर काबू पाया जा सकेगा।
एथनॉल मिश्रण और फ्लेक्स ईंधन वाहनों पर जोर
पेट्रोलियम मंत्री ने भारतीय बाजार में एथनॉल मिश्रण वाले फ्लेक्स ईंधन वाहनों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए वाहन निर्माताओं से अपील की। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि भारत जल्द ही 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल करने जा रहा है, जो निर्धारित समय से पांच साल पहले होगा।
क्या भारत में पेट्रोल और डीजल सस्ते होंगे?
अगर अमेरिकी तेल की सप्लाई और बढ़ती है, तो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी और खाड़ी देशों के तेल की कीमतें सस्ती हो सकती हैं। इसका असर भारत पर सीधा पड़ेगा, और पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है। डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान भी कच्चे तेल के उत्पादन में इजाफा हुआ था, और उस दौरान पेट्रोल-डीजल की कीमतों में गिरावट आई थी। अब फिर से कुछ ऐसा ही होने की संभावना जताई जा रही है।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इस समय कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है। अमेरिकी क्रूड ऑयल डब्ल्यूटीआई की कीमत 2.25 प्रतिशत गिरकर 76.13 डॉलर प्रति बैरल हो गई है। वहीं, खाड़ी देशों के तेल ब्रेंट क्रूड की कीमत में भी 1.17 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह 79.21 डॉलर प्रति बैरल हो गई है। जानकारों का कहना है कि ट्रंप प्रशासन के सक्रिय होने के बाद कच्चे तेल की कीमतों में और गिरावट आने की संभावना है।
डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद भारतीय बाजार में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट की संभावना काफी बढ़ गई है। अगर अमेरिका अपने तेल उत्पादन को बढ़ाता है, तो इससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें नियंत्रित हो सकती हैं और भारत जैसे आयातक देशों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन के कदमों से भारत में ऊर्जा संकट को भी कुछ हद तक कम किया जा सकता है।