RBI ने फिर घटाया रेपो रेट, होम लोन, कार लोन की EMI होगी कम

Gaurangini Chaudhary
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RBI ने फिर घटाया रेपो रेट, होम लोन, कार लोन की EMI होगी कम

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट (0.25%) की कटौती की घोषणा की है। यह लगातार दूसरी बार है जब आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती की है। इससे पहले फरवरी 2025 में भी 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की गई थी, जो पिछले पांच वर्षों में पहली बार थी। अब रेपो रेट 6 प्रतिशत हो गया है। यह निर्णय आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक में लिया गया था, जिसका उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को और अधिक स्थिर बनाना और महंगाई को नियंत्रित करना है।

रेपो रेट क्या है और इसका आम आदमी पर क्या असर होगा?

रेपो रेट वह दर है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) वाणिज्यिक बैंकों को कर्ज देता है। जब आरबीआई रेपो रेट को घटाता है, तो इसका सीधा असर बैंक लोन की ब्याज दरों पर होता है। इसका मतलब यह है कि अब होम लोन, पर्सनल लोन और कार लोन की किश्तों में कमी आ सकती है, जिससे लोन धारकों को राहत मिलेगी। इसके अलावा, यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए उठाया गया है, ताकि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में अधिक निवेश हो सके और लोगों की खर्च की क्षमता बढ़ सके।

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आरबीआई गवर्नर का बयान

आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इस फैसले का एलान करते हुए कहा कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने सर्वसम्मति से रेपो रेट में कटौती के पक्ष में वोट दिया। उन्होंने बताया कि नया वित्तीय वर्ष काफी अनिश्चितताओं के साथ शुरू हुआ है, जिसमें वैश्विक स्तर पर व्यापार संबंधी कुछ आशंकाएं सही साबित हो रही हैं। हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था ने पिछले कुछ समय में कीमतों में स्थिरता और निरंतर विकास के मामले में अच्छा प्रदर्शन किया है। गवर्नर ने यह भी कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत रुख को तटस्थ से बदलकर उदार करने का निर्णय लिया है, जिससे बाजार को और अधिक तरलता मिलेगी।

आर्थिक वृद्धि और महंगाई की स्थिति

आरबीआई गवर्नर ने आगामी वित्तीय वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस साल रियल जीडीपी ग्रोथ 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि दूसरी तिमाही में यह 6.7 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसके अलावा, महंगाई दर को लेकर आरबीआई ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2026 में महंगाई दर 4 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो फरवरी के 4.2 प्रतिशत के अनुमान से कम है।

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भारत की महंगाई दर में गिरावट

भारत की खुदरा महंगाई दर फरवरी 2025 में घटकर 3.61 प्रतिशत तक पहुंच गई थी, जबकि जनवरी में यह 4.26 प्रतिशत थी। यह आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से भी नीचे थी। यह आंकड़ा दिखाता है कि महंगाई की दर में कमी आ रही है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मार्च में भी महंगाई दर आरबीआई के अनुमान से कम रहेगी, जिससे रेपो रेट में और कटौती की संभावना बनी रह सकती है।

वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और भारत का व्यापार

गवर्नर ने यह भी उल्लेख किया कि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। नवीनतम व्यापार संबंधी उपायों से अनिश्चितताएं और बढ़ गई हैं, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में परिदृश्य धुंधला गया है। हालांकि, आरबीआई इन अनिश्चितताओं पर नजर बनाए हुए है और भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने के लिए लगातार कदम उठा रहा है।

आखिरकार, क्या होगा भारतीय निर्यात पर असर?

आरबीआई के इस कदम से भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है, खासकर जब कम ब्याज दरों के कारण स्थानीय स्तर पर खर्च बढ़ सकता है। इसके अतिरिक्त, भारत का निर्यात क्षेत्र, जो इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, रत्न और आभूषण जैसे क्षेत्रों पर निर्भर है, को भी फायदा हो सकता है। इन क्षेत्रों को अब अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए सरकार की तरफ से अतिरिक्त प्रोत्साहन मिल सकता है।

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आरबीआई का रेपो रेट में कटौती का निर्णय भारतीय अर्थव्यवस्था को राहत देने के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। यह कदम आम जनता, खासकर लोन धारकों के लिए राहतकारी है और व्यापार क्षेत्र में भी सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। हालांकि, वैश्विक अनिश्चितताएं और अन्य घरेलू आर्थिक चुनौतियां अभी भी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम बना सकती हैं, लेकिन आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को और भी स्थिर और मजबूत बनाना है।

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