नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्तीय वर्ष 2025-26 की तीसरी मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट को 5.50% पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है। यह निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था में बनी अनिश्चितता और पिछली दर कटौतियों के प्रभाव को पूरी तरह से समझने के लिए समय की आवश्यकता को देखते हुए लिया गया है। एमपीसी के सभी 6 सदस्य दरों में बदलाव न करने पर सहमत थे।
इस फैसले का सीधा असर आपके होम लोन, कार लोन और अन्य कर्जों की ईएमआई (EMI) पर पड़ेगा, जिसमें फिलहाल किसी बदलाव की उम्मीद नहीं है और ब्याज दरें स्थिर बनी रहेंगी।
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प्रमुख घोषणाएं और अनुमान
- रेपो रेट: रेपो रेट को 5.50% पर बरकरार रखा गया है। इस साल आरबीआई ने फरवरी से जून के बीच लगातार तीन बार रेपो रेट में कुल 1% की कटौती की थी।
- जीडीपी ग्रोथ अनुमान: आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.5% पर स्थिर रखा है।
- महंगाई दर का अनुमान: आरबीआई ने FY26 के लिए सीपीआई (CPI) महंगाई का अनुमान 3.7% से घटाकर 3.1% कर दिया है। यह महंगाई के मोर्चे पर एक सकारात्मक संकेत है।
विशेषज्ञों की राय
आरबीआई के इस फैसले पर विशेषज्ञों की राय मिली-जुली थी।
- स्थिरता का कारण: ग्रांट थॉर्नटन के विवेक अय्यर ने कहा कि पिछली दर कटौतियों के प्रभाव को देखने के लिए समय चाहिए, और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य अब भी अस्थिर है।
- रियल एस्टेट पर असर: आरईए इंडिया (हाउसिंग डॉट कॉम) के प्रवीण शर्मा ने कहा कि दरों में स्थिरता का घर खरीदारों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि वे अब अल्पकालिक ब्याज दरों से ज्यादा दीर्घकालिक आत्मविश्वास से प्रेरित हैं। रियल एस्टेट डेवलपर्स भी मांग बनाए रखने के लिए लचीले भुगतान विकल्प दे रहे हैं।
- आम जनता पर असर: रेपो रेट स्थिर रहने से होम लोन, एजुकेशन लोन और कार लोन की ईएमआई में कोई बदलाव नहीं होगा, जिससे आम लोगों को फिलहाल कोई अतिरिक्त राहत नहीं मिलेगी।
इस फैसले के साथ, आरबीआई ने अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनाए रखने और बाहरी जोखिमों के प्रति सतर्क रुख अपनाने का संकेत दिया है।