नई दिल्ली: अगर आप भी शेयर बाजार में आईपीओ (IPO) के जरिए पैसा लगाते हैं, तो यह खबर आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बाजार नियामक संस्था SEBI ने आईपीओ के नियमों में एक बड़ा बदलाव करने का प्रस्ताव रखा है। इसके तहत, रिटेल निवेशकों का हिस्सा घटाकर संस्थागत निवेशकों (जैसे FII, DII, म्यूचुअल फंड और बीमा कंपनियां) का हिस्सा बढ़ाया जाएगा। इस प्रस्ताव पर 21 अगस्त तक सार्वजनिक राय मांगी गई है, जिसके बाद इसे लागू किया जा सकता है।
क्यों हो रहा है यह बदलाव?
साल 2024 में आईपीओ के जरिए करीब ₹1.83 लाख करोड़ जुटाए गए, जो अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। साल 2025 में भी आईपीओ का प्रदर्शन अच्छा रहा है, लेकिन इन आईपीओ में रिटेल निवेशकों की भागीदारी काफी कमजोर रही है। उदाहरण के लिए, Hyundai Motor India के ₹27,000 करोड़ के आईपीओ में रिटेल कोटा सिर्फ 40% भरा, जबकि Hexaware के ₹8,000 करोड़ के आईपीओ में यह सिर्फ 10% था।
SEBI का मानना है कि आईपीओ में स्थिरता लाने के लिए संस्थागत निवेशकों की भूमिका बढ़ाना जरूरी है।
नए नियमों में क्या होगा?
संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ेगी:
अब म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनी और पेंशन फंड भी एंकर निवेशक बन सकेंगे।
एंकर निवेशक का कोटा बढ़ेगा:
एंकर निवेशकों के लिए आरक्षित कोटा 30% से बढ़ाकर 40% किया जा सकता है। इसमें 1/3 हिस्सा म्यूचुअल फंड के लिए और 7% हिस्सा बीमा और पेंशन फंड के लिए आरक्षित होगा।
रिटेल निवेशकों के लिए कम मौका:
नए नियमों के बाद रिटेल निवेशकों के लिए आईपीओ में शेयर मिलने की संभावना कम हो जाएगी, खासकर उन आईपीओ में जिनकी डिमांड ज्यादा होती है।
बड़े निवेशक होंगे हावी:
बड़े संस्थागत निवेशकों की बढ़ी हुई भूमिका से शेयर की कीमत और ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) पर भी असर दिख सकता है।
यह बदलाव आईपीओ में स्थिरता लाने के लिए किया जा रहा है, लेकिन इससे छोटे निवेशकों को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा और उनके लिए शेयर हासिल करना और भी मुश्किल हो सकता है।