पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता पर उठे सवाल, महिला सुरक्षा के दावों की पोल खोलती घटना
आगरा। उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा के तमाम दावों के बीच एक और घटना ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आगरा के वार्ड 73 की निवासी गीता शर्मा को न्याय पाने के लिए अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। सत्ताधारी दल के पार्षद पति की दबंगई के चलते न सिर्फ उन्हें और उनके परिवार को प्रताड़ना झेलनी पड़ी, बल्कि पुलिस ने भी पीड़ित पक्ष को न्याय देने की बजाय एकतरफा कार्रवाई की।
पार्षद पति की दबंगई का शिकार बनी गीता शर्मा
गीता शर्मा ने बताया कि वार्ड 73 के पार्षद के पति द्वारा उनके परिवार को लंबे समय से परेशान किया जा रहा था। बात तब बिगड़ गई जब 6 अक्टूबर की रात पार्षद पति ने अपने साथियों के साथ उनके घर पर हमला किया। गीता के अनुसार, उनके बेटे द्वारा घटना का वीडियो बनाने पर पार्षद पति ने मारपीट करते हुए उसका मोबाइल छीन लिया। इस मामले में जब गीता ने पुलिस से शिकायत की, तो स्थानीय पुलिस ने पार्षद पति के प्रभाव में आकर उल्टा उनके पति को शांति भंग के आरोप में थाने में बंद कर दिया।
प्रशासन पर दबंगई का आरोप
गीता शर्मा ने अपनी शिकायत पुलिस कमिश्नर, स्पर पुलिस आयुक्त और मुख्यमंत्री पोर्टल तक पहुंचाई, लेकिन अब तक न्याय नहीं मिला। गीता का कहना है कि पार्षद पति का रसूख इतना मजबूत है कि महिला आयोग और कैबिनेट मंत्री के कार्यालय में भी उनकी फरियाद को अनसुना कर दिया गया।
महिला सुरक्षा के दावों पर सवाल
गीता ने सवाल उठाया कि क्या सत्ता से जुड़े लोगों पर कानून लागू नहीं होता? पार्षद पति ने न सिर्फ उनके परिवार के साथ मारपीट की, बल्कि पुलिस से अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर एकतरफा कार्रवाई करवाई। उन्होंने कहा कि अगर जल्द न्याय नहीं मिला, तो वह मुख्यमंत्री से मिलकर न्याय की गुहार लगाएंगी।
प्रशासनिक निष्क्रियता का नतीजा
यह घटना उत्तर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। क्या प्रशासन सत्ताधारी दल के दबाव में महिलाओं को न्याय दिलाने में असफल हो रहा है?अपनी पीड़ा बयां करते हुए गीता ने कहा कि वह अंत तक लड़ेंगी। अगर उन्हें न्याय नहीं मिला, तो वह मुख्यमंत्री के आवास पर जाकर अपनी बात रखेंगी।