- बोदला चौकी में राहुल नगर बना नशेबाजी का अड्डा
- स्मैक तस्कर मलखान युवाओं का लगा रहा नशे की आदत
आगरा। जगदीशपुरा थाना इन दिनों सुर्खियों में है। यहां शराब, जुआ, सट्टा यहां तक कि स्मैक तस्करी भी हो रही है। शनिवार को कलवारी के पास मिले शव की हत्या की वजह नशेबाजी ही बताई जा रही है। इन सबके बावजूद पुलिस एक्शन में नहीं है। दो दिन से एक वीडियो वायरल हो रहा है। एक विकलांग व्यक्ति धड़ल्ले से स्मैक की पुड़ियां बेच रहा है। नवयुवक उसके पास एक-एक पुड़िया के लिए दूर-दराज क्षेत्रों से आ रहे हैं। यह वीडियो पुलिस के पास तक पहुंच गया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है। स्मैक तस्कर ने एक रिटायर आबकारी अधिकारी के बेटे को ऐसी लत लगाई है कि वह पूरे दिन तस्कर के चंगुल में फंसा रहता है।
वीडियो में तस्कर और नशेबाजों की बात
नशेबाज– चचा पुड़िया दे दो
तस्कर– तीन सौ रुपये की है। सौ-सौ के तीन नोट निकाल ले
नशेबाज– पांच सौ रुपये देते हुए दो पुड़िया दे दो
तस्कर – तेरी बुद्धि सड़ गई है, तीन सौ रुपये एक पैसा कम नहीं
नशेबाज– पांच सौ में ही दे दो, बाकी रुपये कल ले लेना, भगा नहीं जा रहा हूं।
तस्कर– नहीं-नहीं एक ही ले उधार नहीं
नशेबाज– चचा एक ही दे दो, दौ सौ रुपये वापस कर दो, साथ में खड़ा छोटू नाम का लड़का, बढ़िया सी छांटकर निकाल दो।
तस्कर– कोई भी ले लो, एक तोल है। माचिस में से पुड़िया निकालता हुआ।
नशेबाज– ये नहीं दूसरी दो और तस्कर से बहस करने लगे।
- नशे के शिकार आदमी के काम करने की क्षमता कम होती जाती है। नशे के चक्कर में लोग घर-बार बेच डालते हैं और समाज से उनका नाता टूट जाता है। नशे के लिए लोग गैरकानूनी काम कर डालते हैं और जेल भी चले जाते हैं।
- नशे के लिए कई ऐसी चीजों का सेवन करते हैं, जिससे उन्हें कई तरह के इन्फेक्शन हो जाते हैं। इस्तेमाल किया हुआ इंजेक्शन लगाने से एचआईवी, हेपटाइटिस जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
समाजसेवी नरेश पारस ने बताया कि युवा वर्ग से लेकर तमाम लोग नशे के चंगुल में फंसते जा रहे हैं। अब युवा वर्ग शराब की बजाय सूखे नशे यानी स्मैक, चरस व नशीले ड्रग्स के चंगुल में भी फंस रहा है। नशा हर रूप में सेहत के लिए नुकसानदेह है। यह सभी भलीभांति जानते हैं, लेकिन फिर भी युवा वर्ग इसकी चंगुल में फंसते जा रहे हैं। हालात इतने खराब होते जा रहे हैं कि युवा वर्ग सूखे नशे यानी स्मैक, चरस व नशीले ड्रग्स के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं। वह अपराधिक गतिविधियों में लिप्त होते जा रहे हैं। इस नशे के दलदल में फंसने के बाद उनका कैरियर तो बर्बाद हो रहा है, सेहत भी गंवा रहे हैं। शाहगंज निवासी एक रिटायर आबकारी इंस्पेक्टर के बेटे को स्मैक सूखे नशे की लत लग गई है। परिवार परेशान हैं। तीन दिन पहले पत्नी ने डायल 112 पर कॉल करके मदद मांगी। पति नशे की हालत में आकर आये दिन मारपीट करते हैं। बच्चों की पढ़ाई आदि सब डिस्टर्ब हो रही है।
स्मैक ऐसे पहुंचाता है नुकसान
चिकित्सकों का मानना है कि स्मैक से पूरा स्नायु तंत्र प्रभावित होता है। इस नशे से व्यक्ति काफी उग्र हो जाता है। उसे लगता है कि दुनिया का सबसे ताकतवर इंसान है। इसमें उसके अपराध करने की भी आशंका बनी रहती है। काफी दिनों तक यह नशा करने के बाद व्यक्ति को अवसाद, अकेलेपन की दिक्कत होने लगती है। इससे नशा करने वाला व्यक्ति कल्पना की दुनिया में चला जाता है। ये नशा करने वाला दिमागी सुनपन और उच्च रक्तचाप की चपेट में आ जाता है। इसका असर स्नायु तंत्र पर तेजी से होता है. लेकिन अधिक सेवन से फेफड़े, किडनी, लीवर के फेल होने का खतरा बढ़ जाता है।
थेरपी से खत्म हो सकती है नशेबाजी
ड्रग्स की लत से पीड़ित शख्स में कई बुरी आदतें भी आ जाती हैं, जिस वजह से लत छोड़ने में दिक्कत आती है। ऐसे में उन्हें कुछ थेरपी कराई जाती हैं, जैसे कि आर्ट, डांस, ड्रामा, म्यूजिक, राइटिंग थेरपी आदि। इनके जरिए मरीज का मन बुरी आदतों से दूर होता है। मरीज को पार्कों में बच्चों की तरह खिलाया जाता है और पिकनिक आदि कराई जाती है। इससे उनमें नजदीकियां बढ़ने लगती हैं और समाज के प्रति उनकी नाराजगी खत्म होने लगती है।
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