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बस और ट्रैफिक के हेड कॉस्टेबल कर रहे डग्गेमारी!

Sumit Garg
8 Min Read

एम डी खान, अग्रभारत

फ्लैश……

Agra.एक समय था, जब आगरा ट्रैफिक पुलिस की 12 घंटे की ड्यूटी रहती थी। अब ड्यूटी 8 घंटे की रहती है। दो शिफ्टों में ट्रैफिक पुलिस यातायात व्यवस्था को देखती है। शहर के व्यस्तम चौराहों पर सुबह 7 बजे ड्यूटी शुरू हो जाति है। लेकिन आराम परस्त हो चुके कुछ हेड कांस्टेबल मनमानी तरीके से ड्यूटी प्वाइंट पर पहुंचते हैं। एक भाषा में ये बोला जाए कि ये ड्यूटी में डग्गेमारी कर रहें, तो ये शब्द इनके लिए गलत नहीं होगा। इनकी लापरवाही के कारण यातायात व्यवस्था पर डग्गेमार वाहन हावी हो रहे हैं। आईएसबीटी से लेकर वाटरवर्क्स चौराहा से अवैध बसों का संचालन हो रहा है। इनके बारे में पूछने पर अधिकारी संतोषजनक जबाव नहीं दे पाते। ट्रैफिक पुलिस का कानून बाइक सवार, कार चालकों कमजोर वाहन मालिकों पर ही चलता है। जो दबंग है वह इन्हे गली दे, ठोंके, उनके समक्ष ये भींगी बिल्ली बन जाते हैं। इसका एक उदाहरण रविवार को कमलानगर में देखने को मिला। यहां एक विधायक ने ट्रैफिक हेडकास्टेबल को खूब खरी खोटी सुनाई। हेड कास्टेबल नीचे कान डालकर सुनता रहा। आरोप था कि वह सीट बेल्ट के नाम वसूली कर रहा था। हालांकि वसूली का विधायक जी पर कोई प्रमाण नहीं था। बस वो जनता को खुश करने के लिए बोले जा रहे थे।

—दबंगई—

-ट्रैफिक पुलिस की चौराहों पर दो शिफ्टों रहती है ड्यूटी

-बस पर 45 हजार के चालान, पुलिस सामने हो रही डग्गेमारी

अग्र भारत ब्यूरो  

आगरा। खुदा हुश्न देता है, तो नजाकत आ ही जाती है। आगरा के कमिश्नरेट बनने के बाद से पुलिस को एष्टÑा पावर मिली हुई हैं। कुछेक पुलिसकर्मी सही काम को छोड़, गलत लोगों का सहयोग कर रहे हैं। अधिकारी शहर में अपराध और यातायात व्यवस्था दुरस्त बनी रहे, इसके लिए सख्ती से नियमों का पालन कराने पर जोर दे रहे हैं। वहीं ट्रैफिक के हेड कॉस्टेबल अपनी मनमानी पर उतारू हैं। यह समय से ड्यूटी प्वाइंट पर नहीं पहुंच रहे। टीआई की माने तो व्यस्तम चौराहों पर ड्यूटी सुबह सात बजे शुरू हो जाती है। सिपाही, गार्ड सुबह सात बजे चौराहों पर पहुंच जाते हैं। जबकि वाटरवर्क्स चौराहा की पड़ताल में सामने आया कि हेड कॉस्टेबल डेढ़ घंटा नदारत रहते हैं। हेड कॉस्टेबल की इस डग्गेमारी का फायदा, चौराहों पर डग्गेमार बसों व टेंपों चालक उठाते हैं। चौराहा पर तैनात सिपाही चाहकर भी कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है।

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सुबह छह बजे से साढ़े आठ बजे तक बसों का आतंक

कल की तरह रविवार को भी अग्र भारत की टीम वाटरवर्क्स चौराहा पर पहुंच गई। चौराहा का आलम ऐसा था, जैसे सब्जी मंडी हो, डग्गामार बसें फ्लाई ओवर के नीचे बीच सड़क पर खड़ी हुई थीं। रोडवेज बस चालक चाहकर भी सवारी नहीं बिठा पा रहे थे। परिचालक के साथ ठेकेदार के गुर्गे भी डग्गामार बसों को भरने में मदद कर रहे थे। लाल शर्ट पहने एक परिचालक बस नंबर यूपी 84 टी 4257 चिल्ला-चिल्लाकर सवारी बुला रहा था। चौराहे पर खड़ा एक व्यक्ति जिसे सभी परिचालक पंडित जी कहकर संबोधित कर रहे थे। वह वसूली कर रहा था। लाल शर्ट वाले परिचालक ने भी उसे रुपये दिये। दूसरी बस यूपी 75 एटी 2576 को एक सिपाही बीच रोड पर रोककर खड़ा था। सिपाही ने चालक से कुछ पूछताछ की और फिर आगे जाने दिया। सिपाही से पूछने पर वह बोले कि हमे कार्रवाई करने का अधिकार नहीं हैं। हेड कॉस्टेबल होते तो वह कार्रवाई कर सकते थे।

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इटावा, मैनपुरी, बेवर और नोयडा तक दौड़ रही बसें

यूपी 75एन 8633 का परिचालक हाथ से इशारा करके सवारियों को बुला रहा था। यूपी 85 सीटी 4898 नारंगी रंग की बस बोल्वो कोच की तरह दिख रही थी। वह रोडवेज के आगे खड़ी होकर सवारी बिठा रहा था। यूपी 85 बीटी 8183 सुपर डीलक्स डग्गेमार बस में परिचालक नोयडा और सराय काले खां तक की सवारी बिठा रहा था। आरजे 14 पीबी 2893 बस भी सवारी ले रही थी। जबकि नियम यह है कि दूसरे राज्य की रोडवेज बस भी बस स्टैंड के अलावा अन्य स्थान से खड़े करके सवारी नहीं बिठा सकती। दूसरे राज्य के नंबर की बस भी डग्गामारी कर रही है। पुलिस को वह भी नहीं दिखाई देती। इटावा-कानपुर चलने वाली बस पर नंबर प्लेट तक नहीं थी। यूपी 75 एम 8633 खटारा बस होने के बाद भी सवारियों ढो रही है।

मैनपुरी नंबर की बस पर हैं 45 हजार के चालान

वाटरवर्क्स चौराहा से यूपी 84 टी 4257 नंबर की डग्गेमार बस प्रतिदिन आगरा से मैनपुरी इटावा चल रही है। इस बस के नंबर को पुलिस के पोर्टल पर डाल कर चेक करवाया गया। बस पुनीत कुमार नामक व्यक्ति के नाम है। मैनपुरी में रजिष्टÑेशन है। 27 नवंबर 2021 से 15 जून 2023 तक करीब 45 हजार रुपये के चालान हैं। जबकि अधिकारी कहते हैं कि तीन बार से अधिक चालान होने पर लाइसेंस निरस्त हो जाता है। यह साबित करता है कि पुलिस के नियम भी सबसे निचले स्तर के वाहनों पर ही चलते हैं। इस बस पर सबसे बड़ा चालान 10500 रुपये का है। 500 रुपये के 14 बार हुए हैं। 2500 हजार के तीन, 7000 का एक , 5500 और तमाम और भी हैं। फिटनेस को लेकर संदेह है।

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एक से डेढ़ घंटा लापता रहते हैं हेडकॉस्टेल

ट्रैफिक अधिकारी के अनुसार रामबाग और भगवान टॉकीज चौराहा पर टीएसआई, हेडकॉस्टेबल, सिपाही और गार्ड की ड्यूटी सुबह सात बजे से दो बजे तक रहती है। उसके बाद दूसरी शिफ्ट शुरू होती है। वाटरवर्क्स चौराहा पर सुबह सात बजे से हेड कॉस्टेबल, सिपाही और गार्ड की ड्यूटी रहती है। टीएसआई नौ बजे लगते हैं। वाटरवर्क्स चौराहा पर हेडकॉस्टेबल खुद को टीएसआई से कम नहीं आकते हैं। वह उनसे करीब आधा घंटा पहले ही पहुंचते हैं। दैनिक अग्र भारत की टीम सुबह छह बजे से आठ बजे तक रही। वहां फ्लाई ओवर के ऊपर या नीचे कोई हेड कॉस्टेबल नहीं था। सात बजे दो सिपाही पहुंच गये थे। सिपाही डग्गामार बसों को देखकर मिस्टर इंडिया बने हुए थे।

 

हाईवे के व्यस्तम चौराहों पर सुबह सात बजे ड्यूटी शुरू हो जाती है। डायवर्जन वाले एरिया में सुबह छह बजे से सिपाही की ड्यूटी लग जाती है। ट्रैफिक की ड्यूटी से पहले डग्गेमार बस सुबह चौराहा तक आ जाती हैं। यह सूचना मिली है। उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। ड्यूटी से नादरत रहने वालों के खिलाफ रपट लिखाई जाएगी।

आशुतोष सिंह- ट्रैफिक इंस्पेक्टर कमिश्नरेट आगरा।

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प्रभारी-दैनिक अग्रभारत समाचार पत्र (आगरा देहात)
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