नासिर-जुनैद हत्याकांड का मामला: लॉरेंस और मोनू की वीडियो कॉल वायरल, बड़ा खुलासा हुआ

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लॉरेंस बिश्नोई और मोनू मानेसर के संबंध में एक बड़ा खुलासा हुआ है, जिसमें पता चला है कि मोनू गैंगस्टर बनना चाहता था।

चंडीगढ़ : नासिर-जुनैद हत्याकांड में गिरफ्तार मोनू मानेसर का एक बड़ा खुलासा सामने आया है। इस खुलासे के अनुसार, मोनू गैंगस्टर बनने की योजना बना रहा था। इसके अलावा, एक वीडियो कॉल के माध्यम से लॉरेंस और मोनू की बातचीत का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे दोनों बात कर रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, मोनू गैंगस्टर ने लॉरेंस के ग्रुप में शामिल होने की योजना बनाई थी, और उसने इसके लिए लॉरेंस के भाई अनमोल के साथ संपर्क में रहा। गिरफ्तारी से पहले, दोनों के बीच बातचीत भी हुई थी।

मोनू मानेसर की गिरफ्तारी के बाद, पुलिस ने उसे राजस्थान पुलिस को सौंप दिया। इस दौरान, मोनू मानेसर ने यह बताया कि जुनैद और नासिर को सबक सिखाने के लिए 8 दिन पहले ही उनका अपहरण और हत्या का पूरा प्लान बनाया गया था। जुनैद-नासिर की हत्या के बाद, वह देश से भाग गया था।

राजस्थान पुलिस की पूछताछ के दौरान, मोनू मानेसर ने बताया कि जब उसका नाम नासिर-जुनैद हत्याकांड में आया, तो वह बैंकॉक भाग गया था।

मोनू मानेसर की बातचीत लॉरेंस के भाई अनमोल के साथ 27 अगस्त से शुरू हुई थी। इस दौरान, उनके बीच सिग्नल ऐप के माध्यम से इनकमिंग और आउटगोइंग कॉल भी हुई। सिग्नल पर ही उनके बीच मैसेज का भी आदान-प्रदान हुआ। दोनों की बातचीत की पूरी डिटेल में इसका खुलासा हुआ है। हालांकि अभी इसकी पुलिस द्वारा आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

10 सितंबर को, दोनों के बीच आखिरी बार मैसेज का आदान-प्रदान हुआ, जिसमें अनमोल ने मोनू मानेसर को बताया कि उनके भाई (लॉरेंस बिश्नोई) का फोन चल गया है। मोनू ने उसका सिग्नल ऐप का नंबर भी भेजा। इसके बाद, 12 सितंबर को मोनू मानेसर की गिरफ्तारी हो गई।

गौरतलब है कि 15 फरवरी 2023 को, राजस्थान में भरतपुर के गांव घाटमिका में नासिर और जुनैद गायब हो गए थे। परिवार ने पुलिस को किडनैपिंग के आरोपों के साथ शिकायत की थी। अगले दिन, 16 फरवरी को, हरियाणा में भिवानी के लोहारू में बोलेरो में 2 लोग जिंदा जले मिले थे, और गाड़ी के नंबर से पता चला कि यह वही बोलेरो थी, जिसमें नासिर-जुनैद जा रहे थे। उन्हें बोलेरो समेत जिंदा जलाया गया था, जिसके बाद राजस्थान पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया था। इसमें मोनू मानेसर सहित कई आरोपियों को नामजद किया गया, और कुछ आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए, लेकिन मोनू मानेसर 8 महीने से फरार था।

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