नई दिल्ली: अगर आप भी शिक्षक बनने का सपना देख रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद ज़रूरी है। साल 2025 में NCTE (नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन) ने B.Ed और D.El.Ed कोर्स को लेकर कुछ बड़े बदलाव किए हैं। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में तैयार होने वाले शिक्षक केवल डिग्रीधारी न हों, बल्कि वास्तविक क्लासरूम में पढ़ाने के लिए भी पूरी तरह सक्षम और तैयार हों।
आइए, इन नए नियमों को विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि इनसे स्टूडेंट्स को क्या फायदा या नुकसान हो सकता है।
1. अब एक साथ B.Ed और D.El.Ed करना संभव नहीं
यह पहला और सबसे बड़ा बदलाव है। अब स्टूडेंट्स एक साथ B.Ed और D.El.Ed दोनों कोर्स नहीं कर सकते। पहले कई लोग जल्द नौकरी पाने के लिए दोनों कोर्स एक साथ कर लेते थे, लेकिन अब यह मान्य नहीं होगा।
NCTE का मानना है कि जब स्टूडेंट एक ही कोर्स पर ध्यान केंद्रित करेगा, तो वह उसे बेहतर ढंग से समझ पाएगा और सीखने की गुणवत्ता भी सुधरेगी। इसका मतलब है कि अब आधी-अधूरी नहीं, बल्कि पूरी तैयारी के साथ पढ़ाई करनी होगी।
2. पढ़ाई के साथ-साथ स्कूल में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी ज़रूरी
अब सिर्फ किताबें पढ़ना ही काफी नहीं होगा। नए नियमों के मुताबिक, स्टूडेंट्स को स्कूलों में जाकर इंटर्नशिप करनी होगी। इसका अर्थ है कि उन्हें क्लास में जाकर बच्चों को पढ़ाना, उनके सवालों का जवाब देना और क्लास को संभालना—ये सभी व्यावहारिक चीजें सीखनी होंगी।
इससे स्टूडेंट्स को क्लासरूम का वास्तविक अनुभव मिलेगा और जब वे भविष्य में शिक्षक बनेंगे, तो उन्हें पहले से ही सब कुछ पता होगा। यह एक तरह से ‘डेमो टीचिंग’ की तरह काम करेगा, जिससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
3. केवल NCTE से मान्यता प्राप्त कॉलेज ही वैध
अब अगर आप B.Ed या D.El.Ed करना चाहते हैं, तो किसी भी कॉलेज में एडमिशन लेने से पहले यह ज़रूर चेक करें कि वह कॉलेज NCTE से मान्यता प्राप्त है या नहीं। नए नियमों के अनुसार, बिना मान्यता वाले संस्थान अब ये कोर्स नहीं करा पाएंगे।
इससे फायदा यह होगा कि स्टूडेंट्स को अब फर्जी कॉलेजों से बचाया जा सकेगा और उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा मिलेगी।
4. एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम और इंटरव्यू अनिवार्य
अब सीधे एडमिशन नहीं मिलेगा। स्टूडेंट्स को पहले एक लिखित परीक्षा देनी होगी और फिर इंटरव्यू क्लियर करना होगा। इसके अलावा, हिंदी और इंग्लिश भाषा की समझ, और बेसिक कंप्यूटर नॉलेज भी ज़रूरी है।
NCTE का मानना है कि जब शिक्षक टेक्नोलॉजी से जुड़े होंगे, तो वे बच्चों को भी डिजिटल तरीके से पढ़ा सकेंगे। आज के दौर में स्मार्ट क्लास और ऑनलाइन एजुकेशन का ज़माना है, ऐसे में शिक्षक को भी स्मार्ट बनना होगा।
उम्र की सीमा और कोर्स की अवधि
- B.Ed कोर्स: एडमिशन के लिए न्यूनतम उम्र 21 साल और अधिकतम 35 साल तय की गई है। हालांकि, SC/ST/OBC स्टूडेंट्स को उम्र में छूट मिलेगी।
- कोर्स की अवधि: संस्थान के हिसाब से 1 या 2 साल हो सकती है। D.El.Ed के लिए भी यही नियम लागू होंगे।
नया कोर्स ITEP भी लॉन्च
NCTE ने एक नया कोर्स ITEP (Integrated Teacher Education Programme) भी शुरू किया है, जो एक साथ चार साल का एकीकृत कोर्स होगा। इसमें B.A/B.Sc के साथ B.Ed की पढ़ाई होगी, और इस कोर्स को करने के बाद सीधे शिक्षक बनने का रास्ता आसान हो जाएगा।
यह कोर्स खास तौर पर उन युवाओं के लिए फायदेमंद होगा जो शुरू से ही शिक्षक बनने का सपना देखते हैं और चार साल में पूरी प्रोफेशनल ट्रेनिंग पाना चाहते हैं।
अब स्टूडेंट्स को क्या करना चाहिए?
जो भी युवा शिक्षक बनने की सोच रहे हैं, उन्हें अपनी तैयारी और प्लानिंग एकदम स्पष्ट रखनी होगी। कोई भी कोर्स करने से पहले उसकी मान्यता, एंट्रेंस की तैयारी, प्रैक्टिकल ट्रेनिंग की ज़रूरत और उम्र की लिमिट को ध्यान में रखकर आगे बढ़ना होगा।
ये बदलाव थोड़े सख्त ज़रूर लग सकते हैं, लेकिन इनसे भविष्य के शिक्षक और मज़बूत बनेंगे। और जब शिक्षक मज़बूत होंगे, तो हमारी शिक्षा व्यवस्था भी बेहतर होगी।
क्या आपको लगता है कि ये नए नियम भारतीय शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने में मदद करेंगे?