बद्रीनाथ: बॉलीवुड एक्ट्रेस उर्वशी रौतेला हाल ही में अपने एक बयान को लेकर विवादों में घिर गई हैं। पोडकास्टर सिद्धार्थ कन्नन के साथ बातचीत में उर्वशी ने दावा किया कि उत्तराखंड के बद्रीनाथ के पास स्थित उर्वशी मंदिर उन्हीं के नाम पर समर्पित है। उन्होंने कहा, “उत्तराखंड में पहले से ही मेरे नाम का उर्वशी मंदिर है। आप बद्रीनाथ मंदिर के दर्शन करने जाओगे तो उसके ठीक बाजू में एक मंदिर है, जिसका नाम उर्वशी है और वो मेरे लिए ही डेडिकेटेड है। मेरी बस ये चाह है कि साउथ में भी ऐसा कोई मंदिर हो जो मेरे फैंस के लिए हो।”
उर्वशी रौतेला का यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और स्थानीय लोगों, खासकर बद्रीनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित पंडा समाज में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। दरअसल, बद्रीनाथ धाम के समीप बामणी गांव में सदियों पुराना मां उर्वशी का मंदिर स्थित है, जो उर्वशी रौतेला को नहीं, बल्कि भगवान विष्णु की जंघा से उत्पन्न देवी उर्वशी को समर्पित है। यहां के स्थानीय लोग इस मंदिर में उर्वशी माता और देवी सती के रूप में पूजा-अर्चना करते हैं।
उर्वशी मंदिर की पौराणिक मान्यता
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माना जाता है कि जब भगवान शिव माता सती के वियोग में पूरे पृथ्वी लोक का भ्रमण कर रहे थे, तब सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के कई टुकड़े हुए थे। ये टुकड़े अलग-अलग स्थानों पर गिरे, जिनमें से एक बद्रीनाथ धाम के बामणी गांव में भी गिरा था, जहां उर्वशी मंदिर स्थापित है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु की जंघा से उर्वशी नामक एक सुंदर कन्या का जन्म हुआ था, जो आज भी भगवान बद्री विशाल के मंदिर में भगवान विष्णु के साथ विराजमान हैं। जब भगवान विष्णु बद्रीनाथ धाम में तपस्या कर रहे थे, तो इंद्र ने उनकी तपस्या भंग करने के लिए कई अप्सराएं भेजी थीं। उन अप्सराओं को अपनी सुंदरता पर बहुत घमंड था। तब भगवान विष्णु ने आम्र डाली से अपनी जंघा को चीरा और उससे उर्वशी नाम की एक अत्यंत सुंदर कन्या उत्पन्न हुईं। इसके बाद इंद्र द्वारा भेजी गईं अप्सराएं लज्जित होकर वापस लौट गईं और भगवान विष्णु ने उन उर्वशी नामक अप्सराओं को इंद्र के दरबार में उपहार स्वरूप भेज दिया।
बद्रीनाथ धाम के पूर्व धर्माधिकारी और तीर्थ पुरोहितों का कड़ा विरोध
बद्रीनाथ धाम के पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा, “सोशल मीडिया पर एक अभिनेत्री उर्वशी रौतेला बद्रीनाथ में मौजूद उर्वशी मंदिर को अपने नाम का मंदिर बता रही हैं। उर्वशी मंदिर बद्रीनाथ में है, लेकिन यह मंदिर मां भगवती सती, जो भगवान शंकर की पत्नी थीं, उनके शरीर का उर भाग यहां गिरने के कारण अस्तित्व में आया। यह मंदिर भगवती सती, दुर्गा और लक्ष्मी के रूप में पूजित है। बद्रीनाथ मंदिर और बामणी गांव के हक हकूक धारी यानी पांडुकेश्वर और बामणी गांव वाले इन्हें ही अपने इष्ट के रूप में मानते हैं। कोई अभिनेत्री यदि इसे अपना बताती है, तो हम उसका पुरजोर विरोध करते हैं। सरकार को ऐसे व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। उर्वशी रौतेला ने कहा कि बद्रीनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर उनका मंदिर है और वहां पूजा अर्चना होती है, जो सरासर गलत है।”
बद्रीनाथ धाम के ब्रह्म कपाल तीर्थ पुरोहित समाज के अध्यक्ष अमित सती ने भी उर्वशी रौतेला के बयान की कड़ी निंदा करते हुए कहा, “उर्वशी रौतेला को इस तरह की गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी नहीं करनी चाहिए थी। यहां पर सदियों पुराना पौराणिक उर्वशी देवी का मंदिर है, जिसे यहां के लोग उर्वशी देवी के नाम से ही जानते हैं। यह कोई उर्वशी रौतेला का मंदिर नहीं है और उन्हें इस तरह की बयानबाजी से बचना चाहिए। पांडुकेश्वर और बामणी के ग्रामीण भी उनके इस बयान का कड़ा विरोध कर रहे हैं।”
उर्वशी रौतेला के इस दावे के बाद सोशल मीडिया पर भी लोगों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है और इसे धार्मिक भावनाओं का अनादर बताया है।