ऑपरेशन सिंदूर: 1971 के बाद पहली बार तीनों सेनाओं का संयुक्त प्रहार, 100 किमी भीतर आतंकी अड्डे तबाह
नई दिल्ली: भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत 1971 के युद्ध के बाद पहली बार एक संयुक्त सैन्य कार्रवाई को अंजाम देते हुए पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकियों के ठिकानों पर बड़ा हमला किया है। इस साहसिक ऑपरेशन में भारतीय थलसेना, वायुसेना और नौसेना ने मिलकर काम किया और सीमा के 100 किलोमीटर अंदर तक घुसकर जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे खूंखार आतंकी संगठनों के ठिकानों को धूल में मिला दिया।
100 किलोमीटर भीतर तक घुसी भारतीय सेना
भारत ने इस ऑपरेशन के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किए थे, उनमें से कई अंतरराष्ट्रीय सीमा से 100 किलोमीटर की गहराई में स्थित थे। इनमें सबसे महत्वपूर्ण बहावलपुर था, जिसे जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ माना जाता है। इसके अलावा, लश्कर-ए-तैयबा का ठिकाना मुरीदके सीमा से लगभग 30 किलोमीटर अंदर और गुलपुर 35 किलोमीटर अंदर स्थित था। यह कार्रवाई भारत की रणनीतिक गहराई और सटीक खुफिया जानकारी का प्रमाण है, जिसकी बदौलत आतंकी ठिकानों को सफलतापूर्वक नष्ट किया गया।
आतंकी नेटवर्क पर सीधा और सटीक हमला
भारतीय सेना के सूत्रों के अनुसार, ये वही ठिकाने थे जहां से भारत के खिलाफ लगातार आतंकी हमलों की साजिशें रची जा रही थीं। इस ऑपरेशन में जैश-ए-मोहम्मद का बहावलपुर स्थित मुख्यालय और लश्कर-ए-तैयबा का मुरीदके स्थित अड्डा मुख्य निशाने पर थे। कुल मिलाकर 9 आतंकी ठिकानों पर एक साथ हमला किया गया और उन्हें पूरी तरह से तबाह कर दिया गया।
कामिकা ड्रोन और अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल
इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए तीनों भारतीय सेनाओं ने आधुनिकतम हथियारों का इस्तेमाल किया, जिसमें लोइटरिंग एम्युनिशन (कामिकাজে ड्रोन) प्रमुख थे। ये ड्रोन लक्ष्य को स्वयं ढूंढकर उस पर सीधा हमला करते हैं, जिससे सटीक विस्फोट होता है। इस ऑपरेशन की एक और खास बात यह रही कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान के किसी भी सैन्य अड्डे को निशाना नहीं बनाया। हमले केवल उन्हीं स्थानों पर केंद्रित थे जहां से आतंकी गतिविधियाँ संचालित हो रही थीं।
पाक सेना और आईएसआई के संपर्क का अड्डा भी ध्वस्त
विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारतीय वायुसेना ने बहावलपुर में उस मस्जिद को भी निशाना बनाया, जहां आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर अक्सर छिपता था। इसी जगह पर पाकिस्तानी सेना के अधिकारी और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के एजेंट उससे मुलाकात करते थे और भारत के खिलाफ आतंकी साजिशों को अंतिम रूप दिया जाता था। भारतीय वायुसेना ने एक बेहद सटीक और योजनाबद्ध हमले में इस महत्वपूर्ण ठिकाने को भी ध्वस्त कर दिया, जो पाकिस्तान के आतंकी ढांचे के लिए एक बड़ा झटका है।
यह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति और सीमा पार आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के संकल्प को दर्शाता है। 1971 के बाद पहली बार तीनों सेनाओं का संयुक्त ऑपरेशन पाकिस्तान के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि भारत अपनी सुरक्षा के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगा और आतंकवादियों को उनकी करतूतों की कीमत चुकानी पड़ेगी।