रुस के बाद चीन से सऊदी अरब की नजदीकी, भारत के लिए चिंता की बात

Dharmender Singh Malik
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नई दिल्ली। सऊदी अरब के किंग सलमान बिन अब्दुलअजीज ने समझौते ज्ञापन (एमओयू) को मंजूरी दी है, जिसमें सऊदी को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के डायलॉग पार्टनर का दर्जा मिला है। चीन के नेतृत्व वाले सुरक्षा ब्लॉक एससीओ में सऊदी अरब का शामिल होना दोनों देशों के बीच की बढ़ती करीबी के तौर पर देखा जा रहा है। किंग सलमान ने एमओयू पर मंजूरी के दौरान ही सऊदी अरब और चीन के बीच तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण के शुभारंभ को भी मंजूरी दी। भारत के महत्वपूर्ण ऊर्जा सहयोगी का चीन के करीब जाना भारत के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है।

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भारत का महत्वपूर्ण रक्षा साझेदार और पुराना मित्र रूस भी हाल के महीनों में चीन के बेहद करीब हो गया है। इसके बाद एक और महत्वपूर्ण साझेदार का चीन के पाले में जाना भारत के लिए चिंता का सबब बन गया है। एससीओ 8 सदस्य देशों से मिलकर बना है जिसमें चीन, रूस, भारत अहम देश हैं। ईरान, अफगानिस्तान सहित चार देश हैं, जिन्हें ऑब्जर्वर देश का दर्जा मिला है। वहीं, सऊदी अरब को मिलाकर एससीओ में अब 9 डायलॉग पार्टनर हो गए हैं।
सऊदी अरब और चीन की बढ़ती करीबी का ही नतीजा है कि ईरान और सऊदी ने अपनी दुश्मनी को भुलाकर हाल ही में राजनयिक रिश्तों को फिर से बहाल किया है।

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चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से फोन पर बात की है। इस बातचीत में दोनों देशों के रिश्तों के महत्व पर बात की गई। प्रिंस सलमान ने जिनपिंग को ईरान से दोस्ती करवाने में चीन की भूमिका के लिए उन्हें धन्यवाद भी दिया। दोनों ने सभी क्षेत्रों में परस्पर सहयोग के मुद्दे पर सहमति जाहिर की हैं। पिछले साल दिसंबर में चीनी राष्ट्रपति छह साल बाद सऊदी अरब पहुंचे थे। उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान क्राउन प्रिंस सलमान से मुलाकात की थी और आपसी रिश्ते बढ़ाने पर जोर दिया था। दोनों देश अब अपने रिश्ते को एक कदम और आगे ले जाते हुए एससीओ में भी साझेदार बन गए हैं।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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