नेपाल में हाल ही में हुई हिंसा ने एक बार फिर से राजशाही समर्थकों और सरकार के बीच बढ़ते तनाव को उजागर किया है। जहां एक ओर नेपाल में संविधान में धर्मनिरपेक्ष शब्द को सिर्फ 16 साल पहले जोड़ा गया था, वहीं अब एक बार फिर नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग उठने लगी है। इस मांग के साथ हुई जबरदस्त हिंसा ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और उनकी कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ एक बड़ा मोर्चा खुल गया है। राजशाही समर्थकों ने सरकार को 3 अप्रैल तक का अल्टीमेटम दिया है, जिससे सरकार की परेशानी और बढ़ गई है।
नेपाल में राजशाही की वापसी की मांग
नेपाल में 2008 में राजशाही को खत्म कर दिया गया था, और देश को धर्मनिरपेक्ष गणराज्य घोषित किया गया था। लेकिन 16 साल के इस बदलाव के बाद अब राजशाही समर्थक एक बार फिर से नेपाल में राजा की वापसी की मांग कर रहे हैं। इस मांग को लेकर प्रदर्शनकारियों ने जोरदार हिंसा की है, जिसके कारण कई सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाना चाहिए, जैसा कि पहले 239 साल तक था।
हिंसा के बाद सरकार का सख्त एक्शन
हिंसा के बाद नेपाल की ओली सरकार ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए हैं। पूर्व राजा ज्ञानेंद्र ने हाल ही में नेपाल के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया था और जनता से समर्थन मांगा था, लेकिन इसके बाद सरकार ने उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया। शुक्रवार को हुई हिंसक झड़प के बाद नेपाल की सरकार ने पूर्व राजा की सुरक्षा को पूरी तरह से बदल दिया।
पहले जहां पूर्व राजा को 25 सुरक्षाकर्मी मुहैया कराए गए थे, वहीं अब उनकी सुरक्षा घटाकर केवल 16 सुरक्षाकर्मी कर दी गई है। इसके अलावा, काठमांडू नगर निगम ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र पर 7.93 लाख नेपाली रुपए का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना हिंसा के दौरान हुई तोड़फोड़ और नुकसान की भरपाई के लिए लगाया गया है। काठमांडू नगर निगम ने आदेश दिया है कि राजा ज्ञानेंद्र इस नुकसान की भरपाई करें।
राजशाही समर्थकों का अल्टीमेटम
राजशाही समर्थकों ने नेपाल सरकार को 3 अप्रैल तक का अल्टीमेटम दिया है, जिसमें उन्होंने अपनी मांगों को पूरा करने का दबाव डाला है। उनका कहना है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों को अनदेखा किया, तो वे और भी कड़े कदम उठाने के लिए तैयार हैं।
नेपाल के गृहमंत्रालय ने राजशाही समर्थकों को सख्त चेतावनी दी है कि वे सरकारी कार्यों में हस्तक्षेप न करें और हिंसा से बचें। सरकार का कहना है कि अगर कोई हिंसा में शामिल पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सरकार की जांच और आगे की कार्रवाई
नेपाल सरकार ने हिंसा की जांच शुरू कर दी है। सरकार ने कहा है कि इस मामले में दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। तस्वीरों और इंटेलिजेंस इनपुट्स की मदद से दोषियों की पहचान की जाएगी और उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह साफ है कि नेपाल सरकार पूर्व राजा ज्ञानेंद्र को बख्शने के मूड में नहीं है। सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि यदि प्रदर्शनकारियों ने हिंसा जारी रखी, तो उनके खिलाफ और भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
नेपाल में भविष्य की दिशा
नेपाल में इस समय राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा का दौर चल रहा है। राजशाही समर्थक जहां एक ओर अपने पुराने शासन की वापसी चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर कम्युनिस्ट सरकार और उनके समर्थक संविधान और धर्मनिरपेक्षता की बात कर रहे हैं।
यह सवाल उठता है कि क्या नेपाल एक बार फिर से राजशाही के दौर में लौटेगा या फिर देश का राजनीतिक भविष्य धर्मनिरपेक्ष गणराज्य के रूप में ही आगे बढ़ेगा।
नेपाल में उभरे इस राजनीतिक संकट का असर केवल देश तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी यह एक गंभीर चिंता का विषय बन सकता है।