‘एलियन बेस’ मिला! गूगल मैप्स पर दिखा रहस्यमयी चेहरा, वैज्ञानिक भी हुए हैरान

Manasvi Chaudhary
4 Min Read
'एलियन बेस' मिला! गूगल मैप्स पर दिखा रहस्यमयी चेहरा, वैज्ञानिक भी हुए हैरान

नई दिल्ली: गूगल मैप्स पर अक्सर यूजर्स को अजीबोगरीब चीजें दिखती रहती हैं, जो तुरंत इंटरनेट पर चर्चा का विषय बन जाती हैं। सहारा रेगिस्तान में UFO से लेकर अंटार्कटिका में रहस्यमयी दरवाजों तक की खोज के बाद, अब एक और अनोखा मामला सामने आया है। गूगल मैप्स के यूजर्स ने चिली के एक सुदूर द्वीप पर एक पर्वत की चोटी पर एक रहस्यमयी चेहरे की आकृति देखी है, जिसे कई लोग ‘एलियन बेस’ होने का दावा कर रहे हैं।

क्या यह सचमुच कोई ‘एलियन बेस’ है?

यूएफओ हंटर स्कॉट सी वारिंग ने गूगल मैप्स पर यह रहस्यमयी चेहरा देखा। उन्होंने 55°32’35″S, 69°15’56″W निर्देशांक के साथ इसका वीडियो यूट्यूब पर पोस्ट किया, जिसके बाद यह तेजी से वायरल हो गया। वीडियो पर कई यूजर्स ने उत्साहित होकर टिप्पणी की कि यह अब तक की सबसे महत्वपूर्ण खोजों में से एक हो सकती है। इन टिप्पणियों में एलियन और प्राचीन सभ्यताओं से जुड़े कयास भी लगाए गए।

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हालाँकि, वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का इस पर कुछ और ही कहना है। वे इस तरह के दावों को सिरे से खारिज करते हैं और इस घटना के पीछे एक बहुत ही सरल वैज्ञानिक कारण बताते हैं।

विशेषज्ञ बताते हैं सच्चाई: यह एक मनोवैज्ञानिक भ्रम है

विशेषज्ञों का दावा है कि भूवैज्ञानिक संरचनाओं में चेहरे या अन्य पैटर्न देखना एक आम मनोवैज्ञानिक घटना है, जिसे ‘परेइडोलिया’ (Pareidolia) कहा जाता है।

क्या होता है परेइडोलिया?

लिंकन विश्वविद्यालय के चेहरे की पहचान के विशेषज्ञ डॉ. रॉबिन क्रेमर के अनुसार, परेइडोलिया वह प्रवृत्ति है जिसमें हमारा मस्तिष्क निर्जीव वस्तुओं में सार्थक पैटर्न या चेहरे देखने लगता है।

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मस्तिष्क की कार्यप्रणाली

हमारा मस्तिष्क जटिल और अव्यवस्थित जानकारी को उन पैटर्नों में बदलने की कोशिश करता है जिन्हें हम समझ सकते हैं। इसी कारण हमें बादलों, चट्टानों या अन्य प्राकृतिक आकृतियों में भी चेहरे दिखाई देने लगते हैं। डॉ. क्रेमर कहते हैं कि जहाँ चेहरे न भी हों, वहाँ भी उन्हें देखना एक तरह की सावधानी है जो हमारे अस्तित्व के लिए विकसित हुई है।

विकसित हुआ तंत्र

मैक्वेरी विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक प्रोफेसर केविन ब्रुक्स के अनुसार, हमारे पूर्वजों ने इस तंत्र को अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए विकसित किया था, ताकि वे दूर से ही मित्र और शत्रु में पहचान कर सकें। यह एक ऐसा तंत्र है जो हमें किसी भी चेहरे जैसी चीज को तब तक चेहरा मानने के लिए प्रेरित करता है, जब तक कि इसके विपरीत साबित न हो जाए।

धार्मिक विश्वास और परेइडोलिया

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की शोधकर्ता डॉ. सुज़ैन वार्डले ने बताया कि परेइडोलिया आमतौर पर कोई मनोवैज्ञानिक समस्या नहीं है, लेकिन धार्मिक या अलौकिक विश्वास रखने वाले लोगों में रैंडम उत्तेजनाओं में चेहरे देखने की संभावना अधिक होती है। यही वजह है कि यूएफओ हंटर्स को इस तरह की आकृतियां अक्सर मिलती हैं

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तो, चिली के पर्वत पर दिखा यह रहस्यमयी चेहरा कोई एलियन बेस नहीं है। यह केवल एक भूवैज्ञानिक संरचना है, जिसे हमारा मस्तिष्क परेइडोलिया की वजह से एक चेहरे के रूप में देख रहा है। यह घटना दर्शाती है कि हमारा दिमाग किस तरह से चीजों को समझने की कोशिश करता है, भले ही उनका कोई वास्तविक अर्थ न हो।

 

 

 

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