ग्लोबल वार्मिंग से मिलेगी निजात : अमेरिकी वैज्ञानिकों का सुझाव, चांद पर खनन कर धूल को सूर्य की ओर उछलने दें

Dharmender Singh Malik
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वॉशिंगटन। ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसा मुद्दा है, जो दुनिया के हर देश को प्रभावित कर रहा हैं। हर साल ग्लोबल वार्मिंग से जुड़ी कॉन्फ्रेंस की जाती हैं। लेकिन इस लेकर वैज्ञानिक समुदाय हल निकालने में लगे हैं। अमेरिकी वैज्ञानिकों के एक समूह ने अंतरिक्ष में बादल के जरिए ग्लोबल वॉर्मिंग को सुलझाने का एक नया प्रस्ताव दिया है। उनका कहना है कि चांद की धूल से अंतरिक्ष में बादल बनाना चाहिए जो सूर्य की किरणों को धरती पर आने के रास्ते में बाधा बनें। जब सूर्य का ज्यादातर प्रकाश नहीं आएगा, तब धरती ठंडी होने लगेगी।

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उनकी अजीबोगरीब योजना के मुताबिक हम चांद पर खनन करे और इससे निकलने वाली धूल को सूर्य की ओर उछालने दे। धूल लगभग दो सप्ताह तक सूर्य और पृथ्वी के बीच रहेगी और सूर्य का प्रकाश मंद हो जाएगा, जिसके बाद यह फैल जाएगा। वैज्ञानिकों के इस प्लान को सफल बनाने के लिए चांद की एक करोड़ टन धूल की हर साल जरूरत होगी। उनका कहना है कि अगर यह प्लान काम करता है, तब दुनिया में कार्बन उत्सजर्न को कम करन के लिए इंसानों को कुछ और समय मिल जाएगा।

दुर्भाग्य से सभी जानते हैं कि यह प्लान सुनने में जितना आसान लगता है, वह उतना आसान नहीं है। हालांकि धरती तक सूर्य की रोशनी को आने से रोकने का प्लान को नया नहीं है। सूर्य से आने वाली धूप को कंट्रोल कर धरती को ठंडा करने का प्लान सौर-भू-अभियांत्रिकी या सौर विकिरण कहलाता है। सबसे चर्चित विधि है कि धरती के चारों ओर एरोसोल के कणों की एक पतली परत को पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में छोड़ दिया जाए। हालांकि इस तरह वातावरण के साथ खिलवाड़ करना बारिश और सूखे का पैटर्न बदल सकता है। इसके अलावा ओजोन लेयर को भी नष्ट कर सकता है।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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