ट्रंप की H-1B वीजा नीति से टूटे भारतीयों के सपने, जॉब ऑफर वापस ले रहीं कंपनियां

Manasvi Chaudhary
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ट्रंप की H-1B वीजा नीति से टूटे भारतीयों के सपने, जॉब ऑफर वापस ले रहीं कंपनियां

अमेरिका में काम करने का सपना देखने वाले हजारों भारतीयों के लिए H-1B वीजा एक महत्वपूर्ण माध्यम है, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई वाली अमेरिकी प्रशासन की कड़ी इमीग्रेशन नीति ने कई भारतीयों के सपनों को धक्का पहुँचाया है। H-1B वीजा, जो विदेशी कार्यकर्ताओं के लिए एक प्रमुख अस्थायी वर्क वीजा है, अब उन भारतीयों के लिए समस्याओं का कारण बन गया है, जो अमेरिका में रोजगार के लिए आवेदन कर रहे हैं या पहले ही वहां काम कर रहे हैं।

H-1B वीजा और ट्रंप प्रशासन की नीतियाँ

H-1B वीजा प्रोग्राम विदेशी कर्मचारियों को अमेरिकी कंपनियों में काम करने की अनुमति देता है, विशेषकर उच्च-तकनीकी, विज्ञान, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) क्षेत्रों में। ट्रंप प्रशासन ने इस कार्यक्रम पर कड़ा रुख अपनाया है, जिससे भारतीय पेशेवरों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। ट्रंप ने अपनी नीतियों में बदलाव की घोषणा करते हुए, अमेरिकी नागरिकों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने का वादा किया है। इस बीच, H-1B वीजा धारकों के लिए कई नीतिगत बदलाव और बढ़ती जांच ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।

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भारतीयों के सपने टूटते हुए

H-1B वीजा धारक बनने की प्रक्रिया भारतीय पेशेवरों के लिए हमेशा से एक सपना रही है। इसमें भारत के लोगों की संख्या का प्रमुख योगदान रहा है, क्योंकि लगभग 72% H-1B वीजा धारक भारतीय होते हैं। हालांकि, ट्रंप समर्थकों के बीच यह तर्क दिया जा रहा है कि यह कार्यक्रम अमेरिकी कर्मचारियों के लिए खतरा है, क्योंकि विदेशी कर्मचारियों की संख्या बढ़ रही है। इसके परिणामस्वरूप, कई कंपनियाँ जो भारतीय कर्मचारियों को वीजा पर काम पर रखने वाली थीं, अब वे जॉब ऑफर वापस ले रही हैं।

जॉब ऑफर रद्द होने की घटनाएँ

वी पुव्वाडा (बदला हुआ नाम) ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए बताया कि कैसे उन्हें जॉब ऑफर मिलने के एक महीने बाद ही उसे रद्द कर दिया गया। पुव्वाडा ने कहा, “मेरे पास ऑफर लेटर था, लेकिन जॉब ऑफर को बदलती वीजा नीतियों के कारण वापस ले लिया गया।” उनके अनुसार, हालांकि कंपनियों ने इस संबंध में खुलासा नहीं किया, लेकिन ट्रंप प्रशासन के कड़े इमिग्रेशन नियमों का असर स्पष्ट था।

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अध्ययन और करियर के अवसरों पर असर

सभी भारतीय H-1B वीजा धारक ही नहीं, बल्कि अमेरिका में पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए भी चिंता का विषय है। सानिया, जो 2022 में मास्टर डिग्री के लिए अमेरिका गई थीं, उन्होंने अपनी चिंता जाहिर की और कहा, “मुझे बताया गया था कि वे मुझे मार्च 2025 में एच-1बी लॉटरी के लिए रजिस्टर करेंगे, लेकिन अब तक प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। इससे मेरी नौकरी का भविष्य संदिग्ध हो गया है।”

ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में क्या होगा?

कोर्नेल लॉ स्कूल के इमिग्रेशन स्कॉलर, स्टीफन येल-लोहर के अनुसार, ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में भी H-1B वीजा को लेकर अनिश्चितता बनी रहेगी। हालांकि, ट्रंप प्रशासन में एलन मस्क जैसे प्रमुख व्यक्तित्व ने H-1B वीजा को संरक्षित करने की वकालत की है, लेकिन इसका भविष्य अभी तक स्पष्ट नहीं है।

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H-1B वीजा भारतीय पेशेवरों के लिए न केवल एक वर्क वीजा था, बल्कि अमेरिका में स्थायी निवास की ओर एक महत्वपूर्ण कदम था। लेकिन ट्रंप प्रशासन की कड़ी नीतियाँ, जॉब ऑफर रद्द होने और वीजा संबंधी अनिश्चितता ने भारतीयों के लिए नई चुनौतियाँ पैदा की हैं। अब यह देखना बाकी है कि आने वाले समय में अमेरिकी इमीग्रेशन नीतियों में क्या बदलाव आते हैं और इससे भारतीय वीजा धारकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

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