20 जनवरी, 2025 को अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के शपथ ग्रहण समारोह के अवसर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर वाशिंगटन, डीसी में मौजूद होंगे। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में भारत के राजनयिक संबंधों को और मजबूती देने की उम्मीद है, क्योंकि यह एक नए अमेरिकी प्रशासन के कार्यकाल की शुरुआत का प्रतीक है।
भारत-अमेरिका रिश्तों को नई दिशा देने का मौका
विदेश मंत्री एस जयशंकर की इस यात्रा को भारत-अमेरिका के बीच राजनयिक संबंधों को और मजबूत करने का एक अहम कदम माना जा रहा है। जयशंकर इस दौरान अमेरिकी प्रशासन के नए प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे और शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने वाले अन्य अंतरराष्ट्रीय गणमान्य व्यक्तियों से भी बातचीत करेंगे। यह बैठकें और संवाद भारत के लिए वैश्विक कूटनीतिक स्थिति को और सशक्त करने का एक अवसर साबित हो सकते हैं।
शपथ ग्रहण समारोह की अहमियत
डोनाल्ड ट्रंप का शपथ ग्रहण समारोह 20 जनवरी को अमेरिकी समय के अनुसार दोपहर 12 बजे (भारतीय समयानुसार रात साढ़े 10 बजे) शुरू होगा। यह कार्यक्रम अमेरिकी राजनीति में एक नए दौर की शुरुआत करेगा, जिसमें घरेलू और विदेश नीति दोनों में महत्वपूर्ण बदलावों की संभावना है। भारत के लिए यह एक अवसर होगा, क्योंकि नए प्रशासन के साथ मिलकर विभिन्न मुद्दों पर सहयोग को बढ़ावा दिया जा सकता है।
भारत के लिए अहम मुद्दे
भारत-आमेरिका संबंधों के संदर्भ में, आगामी प्रशासन के रुख पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, विशेषकर एच1-बी वीजा सुधार, सप्लाई चेन लचीलापन, और हिंद-प्रशांत क्षेत्र से जुड़ी रणनीतियाँ। ये ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर भारत के हित सीधे तौर पर प्रभावित हो सकते हैं। शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के अलावा, विदेश मंत्री एस जयशंकर इन मुद्दों पर अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात करेंगे और भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट करेंगे।
विदेशी मेहमान और महत्वपूर्ण शख्सियतें
ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में कई महत्वपूर्ण विदेशी मेहमानों के शामिल होने की संभावना है। इनमें अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली, ब्रिटेन की दक्षिणपंथी रिफॉर्म यूके पार्टी के प्रमुख निगेल फराज, जापानी विदेश मंत्री ताकेशी इवेआ, इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी, और फ्रांस की दक्षिणपंथी राजनीतिक पार्टी के नेताओं के शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है।
इसके अलावा, ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो को भी समारोह के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन पासपोर्ट संबंधी समस्याओं के कारण उनका कार्यक्रम में शामिल होना संदिग्ध हो सकता है। वहीं, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भी शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने का आमंत्रण भेजा गया था, हालांकि उनकी ओर से एक उच्च स्तरीय दूत भेजे जाने की संभावना है।
नई अमेरिकी नीति पर नजर
भारत, जो अमेरिका का प्रमुख सहयोगी देश है, आने वाली अमेरिकी प्रशासन की नीति पर बारीकी से नजर रखेगा। खासकर एच1-बी वीजा नीति, जिसका भारतीय तकनीकी कर्मचारियों पर सीधा प्रभाव पड़ता है, और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और सहयोग से जुड़ी रणनीतियों पर ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा, सप्लाई चेन लचीलापन और व्यापार संबंधों को लेकर भी भारत की दृष्टि स्पष्ट है। ऐसे में, विदेश मंत्री एस जयशंकर की यह यात्रा और उनके संवाद भारतीय कूटनीति के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
20 जनवरी को होने वाला ट्रंप का शपथ ग्रहण समारोह केवल अमेरिका के लिए नहीं, बल्कि भारत के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर है। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर की इस यात्रा से भारत-अमेरिका संबंधों को नई दिशा मिलने की उम्मीद है, और यह समारोह एक नई राजनीतिक और कूटनीतिक शुरुआत का प्रतीक बन सकता है। भारत इस अवसर का भरपूर उपयोग करते हुए अमेरिका के नए प्रशासन के साथ सहयोग के नए आयाम स्थापित करने की दिशा में काम करेगा।