G 20 Summit: India-Middle East-Europe Corridor will be economically important

Dharmender Singh Malik
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नई दिल्ली । G 20 शिखर सम्‍मेलन के दौरान एक अहम समझौते के रुप में भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के एक मेगा इकनॉमिक कॉरिडोर के ऐलान को देखा जा रहा है। इस इकनॉमिक कॉरिडोर की घोषणा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। यह कॉरिडोर भारत के लिए कई मायने में अहम माना जा रहा है।

जानकारों का मानना है कि यह सीधे तौर पर चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को चुनौती देने वाला है। इस परियोजना में भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, फ्रांस, इटली, जर्मनी और अमेरिका शामिल हैं। पीएम मोदी ने इसे ऐतिहासिक साझेदारी बताते हुए कहा कि आने वाले समय में यह भारत, पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच आर्थिक सहयोग का एक बड़ा माध्यम होगा।

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यह परियोजना रेल और शिपिंग कॉरिडोर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रचर इनवेस्टमेंट के लिए साझेदारी का हिस्सा है। यह ना सिर्फ भारत को पश्चिम एशिया और यूरोप तक व्यापार के मार्ग पर मजबूती से आगे बढ़ाएगा बल्कि लॉजिस्टिक्स और परिवहन क्षेत्र में भी बड़े अवसर पैदा होंगे।

इस महत्वकांक्षी परियोजना का मकसद भारत, मिडिल ईस्ट और यूरोप के बीच व्यापार को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था का लगभग एक तिहाई हिस्सा रखने वाले क्षेत्रों को जोड़ने के लिए एक आधुनिक रूट तैयार करना है। इस परियोजना में रेल, बिजली और हाइड्रोजन पाइपलाइन परियोजनाएं शामिल होंगी। इसमें से प्रस्तावित परियोजना यूएई और सऊदी अरब समेत पूरे मिडिल ईस्ट में रेलवे और बंदरगाह सुविधाओं को जोड़ेगी। जिससे भारत और यूरोप को बीच व्यापार में 40 प्रतिशत की तेजी आएगी। इसके साथ भरतीय बंदरगाहों को मिडिल ईस्ट और यूरोप तक शिपिंग लेन के जरिए जोड़ा जाएगा।
परियोजना को वैश्विक व्यापार के लिए एक संभावित गेमचेंजर भी माना जा रहा है। यह चीन के व्यापक रणनीतिक बुनियादी ढांचे के निवेश का विकल्प पेश करेगी। इसलिए दावा किया जा रहा है कि इकनॉमिक कॉरिडोर के ऐलान के बाद चीन के होश उड़ गए हैं। चीन के इस झटके के पीछे भारत और अमेरिका का हाथ बाताया जा रहा है। दावा है कि इन दोनों देशों ने मिलकर चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट का विकल्प तैयार किया और उसे दुनिया के सामने पेश भी कर दिया है।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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