हाथियों से तीन गुना ज्यादा विशाल हाथियों का शिकार करते थे मानव

3 Min Read

बड़े-बड़े हाथियों तक को खा जाते थे मारकर

बर्लिन । मानव के पूर्वजों के बारे में एक पत्र‍िका में चौंकाने वाले दावे किए गए हैं। कहा गया है कि निएंडरथल मानव बड़े समूहों में आज के हाथियों से तीन गुना ज्यादा विशाल हाथियों का शिकार करते थे। आज तक उनके समूहों को जितना बड़ा समझा जाता था, शायद वो उनसे भी बड़े समूहों में रहते थे। तमाम स्‍टडी में इस बात की पुष्टि हुई है कि निएंडरथल एक मनुष्य से अत्यधिक मिलती जुलती प्रजाति थी जो यूरोप में करीब 250000 साल पहले रहती थी। मनुष्य की हमारी प्रजाति और निएंडरथल, यूरोप में एक समय पर रहे और इनके आपस में कुछ ताल्लुकात होने के सबूत भी मिलते हैं। करीब 28,000 साल पहले यह प्रजाति हिमयुग के कारण विलुप्त हो गई।

एक स्‍टडी से और भी चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। स्‍टडी जर्मनी के शहर ‘हाल’ के पास में मिले कुछ अवशेषों के अध्ययन पर आधारित हैं। ये अवशेष 1.25 लाख साल पुराने सीधे दांतों वाले हाथियों के हैं। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, तब हाथी वूली मैमथ से भी ज्यादा विशाल होते थे और आज के एशियाई हाथी से तो तीन गुना ज्यादा बड़े होते थे। एक वयस्क नर का वजन 13 मेट्रिक टन तक जा सकता था।

वयस्क नर हाथियों का शिकार करना ज्यादा आसान होता होगा क्योंकि मादा अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए झुंडों में चलती थीं। वयस्क नर अकेले रहते थे, इसलिए उनका शिकार आसान होता था। उन्हें आसानी से गड्ढों की तरफ दौड़ा कर, उनमें गिरा कर शिकार किया जा सकता है। स्‍टडी के लेखक विल रोब्रोक्स ने बताया, इन विशाल जानवरों का शिकार करना और उन्हें मार कर उनके मांस को खाना इस इलाके में निएंडरथल मानवों की दिनचर्या में शामिल था।

यह मानव विकास में हाथियों के शिकार का पहला स्पष्ट प्रमाण है। रोब्रोक्स ने यह भी बताया कि सबसे बड़े शिकार का पीछा करने के लिए निएंडरथल मानव एक समूह के रूप में होते थे। निएंडरथल जानवरों को काटने के लिए चकमक पत्थर के औजारों का इस्तेमाल करते थे जिनकी वजह से अच्छी तरह से संरक्षित हड्डियों पर स्पष्ट निशान हैं। लकड़ी के कोयले से लगाई गई आग के सबूत भी मिले हैं जिनसे यह संकेत मिला थाई कि उन लोगों को मांस को आग के ऊपर लटका कर उसे सुखाया भी होगा।रिसर्च में इस बात के सबूत मिले हैं।

Share This Article
Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
Leave a comment

Leave a ReplyCancel reply

error: AGRABHARAT.COM Copywrite Content.
Exit mobile version