वाशिंगटन डीसी/ब्रसेल्स: दुनिया के शक्तिशाली देशों के संगठन नाटो (NATO) के चीफ मार्क रूट ने एक गैर-कूटनीतिक और धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल करते हुए भारत, ब्राजील और चीन को रूस के साथ व्यापार न करने की सख्त सलाह दी है। नाटो महासचिव रूट ने मंगलवार को खुले तौर पर चेतावनी दी कि यदि ये देश रूस के साथ व्यापार जारी रखते हैं तो उन पर 100% तक के ‘सेकेंडरी सैंक्शंस’ (द्वितीयक प्रतिबंध) लगाए जा सकते हैं, और ये प्रतिबंध “बहुत भारी” पड़ सकते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि ये सैंक्शंस अमेरिका द्वारा इन देशों पर लगाए जा सकते हैं।
मार्क रूट ने बुधवार को अमेरिकी सीनेटरों के साथ एक बैठक के दौरान यह बात कही। यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा यूक्रेन के लिए नए हथियारों की घोषणा करने और रूस से सामान खरीदने वाले देशों पर कठोर टैरिफ लगाने की धमकी देने के ठीक एक दिन बाद आया है।
पुतिन पर सीजफायर का दबाव बनाने की मांग
मार्क रूट ने इन देशों से यह भी मांग की है कि वे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर यूक्रेन के साथ सीजफायर के लिए दबाव बनाएं।
गौरतलब है कि ट्रंप रूस के खिलाफ यूक्रेन को हथियारों की नई खेप देने का ऐलान कर चुके हैं। ट्रंप ने यह भी धमकी दी है कि अगर रूस 50 दिनों के अंदर शांति समझौते पर सहमत नहीं होता है तो रूस का तेल खरीदने वाले देशों पर अमेरिका 100 फीसदी सेकेंडरी टैरिफ लगाएगा।
हालांकि, ट्रंप ने अपने बयान में ब्राजील, चीन या भारत का नाम नहीं लिया था, लेकिन मार्क रूट ने अपनी टिप्पणी से तस्वीर साफ कर दी है। ये तीनों देश वही हैं जिन्होंने 2022 में पुतिन की सेना द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से रूसी तेल और पेट्रोलियम उत्पाद खरीदना जारी रखा है।
अमेरिका में 500% टैरिफ का विधेयक विचाराधीन
यह भी बता दें कि अमेरिकी सीनेटर एक ऐसे विधेयक पर जोर दे रहे हैं, जिसमें रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर 500% टैरिफ लगाने का प्रावधान है, जो इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाता है।
मार्क रूट ने अपने बयान में काफी तल्खी लाते हुए कहा, “इसलिए मुझे यकीन है कि उन्हें अभी तक पता नहीं है कि उन्हें क्या हिट करेगा? इसे समझने में कुछ समय लगेगा। और मुझे लगता है कि आप लोग मीडिया में यह बात स्पष्ट कर रहे हैं, सीनेटर भी ब्राजील, भारत और चीन के अपने समकक्षों के साथ इस पर चर्चा कर रहे होंगे। हथियारों की आपूर्ति के अलावा, रूस पर अधिकतम दबाव डालने में यह बहुत मददगार होगा।”
भारत-अमेरिका व्यापार समझौता और रूस पर निर्भरता
यह उल्लेखनीय है कि भारत अमेरिका के साथ एक ऐसे व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की तैयारी कर रहा है, जिसमें अमेरिका द्वारा भारत पर लगाया जाने वाला टैरिफ 20 प्रतिशत हो सकता है। ऐसे में नाटो चीफ का यह बयान भारत के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
बीबीसी की एक रिपोर्ट और थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर के डेटा के अनुसार, चीन और भारत कच्चे रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार हैं।
- चीन: 5 दिसंबर 2022 से मई 2025 के अंत तक चीन ने रूस के कुल कच्चे तेल के निर्यात का 47 फीसदी खरीदा है। 2024 में चीन ने रूस से प्रतिदिन 1.76 से 2 मिलियन बैरल कच्चे तेल का आयात किया, जो उसके कुल आयात का 20-22% था। 2024 में इसकी वैल्यू 78 बिलियन यूरो रही।
- भारत: इसी अवधि में भारत ने रूस के कुल कच्चे तेल के निर्यात का 38 फीसदी खरीदा है। 2024 में भारत ने रूस से लगभग 1.8 से 2.07 मिलियन बैरल प्रतिदिन (bpd) कच्चा तेल आयात किया, जो उसकी कुल तेल खरीद का 40-44% था। इसकी वैल्यू 2024 में 52.73 बिलियन डॉलर थी।
दोनों देशों ने मिलकर मार्च 2023 में रूस के 91% तेल की खरीद की थी, जो उनकी रूसी ऊर्जा पर निर्भरता को दर्शाता है। नाटो चीफ की यह धमकी ऐसे समय में आई है जब वैश्विक भू-राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं और ऊर्जा व्यापार एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है।