नई दिल्ली: किसी भी देश के बढ़ते आर्थिक रुतबे का अंदाजा वहां के अमीरों की संख्या से लगाया जाता है, और इस मोर्चे पर भारत ने एक बड़ी छलांग लगाई है। अब भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बन गया है जहाँ सबसे ज्यादा हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स (HNWIs) यानी अमीर और दौलतमंद लोग रहते हैं।
नाइट फ्रैंक ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट 2025 के अनुसार, भारत में ऐसे लोग जिनके पास 10 मिलियन डॉलर (लगभग 83 करोड़ रुपये) से ज्यादा की संपत्ति है, उनकी संख्या बढ़कर 85,698 हो गई है। यह आंकड़ा भारत की बढ़ती आर्थिक शक्ति का स्पष्ट प्रमाण है।
अमेरिका, चीन और जापान के बाद भारत का स्थान
इस मामले में भारत अब केवल अमेरिका, चीन और जापान से पीछे है। रिपोर्ट में इस बढ़ती दौलत के पीछे भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था, पूंजी तक बढ़ती पहुंच और उद्यमियों का बढ़ता कारोबार जैसे प्रमुख कारकों को जिम्मेदार ठहराया गया है।
अरबपतियों की संख्या में भी रिकॉर्ड वृद्धि
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अरबपतियों (Billionaires) की संख्या में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है। पिछले साल के मुकाबले यह संख्या 12 प्रतिशत ज्यादा है। साल 2023 में जहां देश में 165 अरबपति थे, वहीं अब यह बढ़कर 191 हो चुकी है। यानी, मात्र एक साल में 26 नए अरबपति इस सूची में जुड़े हैं। इससे पहले साल 2019 में इस सूची में केवल सात लोग शामिल हुए थे, जो मौजूदा वृद्धि की गति को दर्शाता है।
भारत के अरबपतियों के पास कुल मिलाकर करीब 0.95 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 79 लाख करोड़ रुपये) की संपत्ति है, और इस मामले में वे फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देशों से आगे निकल गए हैं। इस लिस्ट में भी भारत सिर्फ अमेरिका और चीन से पीछे है।
भविष्य की संभावनाएं और रियल एस्टेट का आकर्षण
रिपोर्ट का अनुमान है कि भारत में अरबपतियों की संख्या 2028 तक करीब 43 प्रतिशत बढ़ सकती है, जिससे यह आंकड़ा 1,22,119 पर पहुँच सकता है। सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में यह अनुमानित ग्रोथ सबसे ज्यादा है, जो भारत के आर्थिक भविष्य के प्रति मजबूत विश्वास को दर्शाता है।
सबसे खास बात यह है कि भारत के अमीर व्यक्ति भी दुनिया के बाकी हिस्सों की तरह रियल एस्टेट कारोबार को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। वैश्विक स्तर पर अरबपतियों की कुल संख्या का करीब 30 प्रतिशत रियल एस्टेट कारोबार से जुड़े हैं, और भारत में यह प्रवृत्ति और भी मजबूत हुई है, जहाँ संपत्ति को प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है।