लंदन । ब्रिटिश ब्रॉडकास्टस्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) ने दुनिया भर की 100 प्रभावशाली महिलाओं की सूची जारी की है। इसमें भारत की चार महिलाएं शामिल हैं। इनमें अभिनेत्री और फिल्म निर्माता प्रियंका चोपड़ा जोनस एविएशन इंजीनियर सिरिशा बांदला बुकर अवार्ड विनर लेखिका गीतांजलि श्री और सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहा जावाले शामिल हैं।
इस सालाना सूची में जमीनी स्तर से आने वाली कार्यकर्ता से लेकर वैश्विक नेताओं को शामिल किया जाता है। इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं की उपलब्धियों पर जोर दिया जाता है। प्रसारणकर्ता इसका इस्तेमाल साक्षात्कार की श्रृंखलाओं डॉक्यूमेंट्री और फीचर फिल्म के जरिए दुनियाभर में महिलाओं के अनुभव पर ध्यान केंद्रित करने के लिए करता है।
इस साल सूची बनाने के लिए पहली बार बीबीसी ने पूर्व में इस सूची में शामिल रहीं ‘100 महिलाओं’ की मदद ली। सूची में पहले स्थान पा चुकी महिलाओं से उन महिलाओं को नोमिनेट करने के लिए कहा जिन्हें वे 2022 की इस सूची में शामिल करने के योग्य मानती हैं। इस सूची में प्रियंका चोपड़ा को बॉलीवुड के सबसे बड़े फिल्मी सितारों में से एक बताया गया है। उनके नाम पर 60 से अधिक फिल्में हैं।
प्रियंका चोपड़ा के हवाले से कहा गया है मीटू आंदोलन और एक साथ आ रही एक-दूसरे की रक्षा कर रही तथा एक-दूसरे के साथ खड़ी महिलाओं की सामूहिक आवाज-एक साथ आने में कुछ बहुत शक्तिशाली है। बीबीसी ने प्रियंका चोपड़ा के बारे में कहा है उन्होंने अपनी खुद की प्रोडक्शन कंपनी बनायी भारत में फिल्में बना रही हैं। प्रियंका चोपड़ा यूनिसेफ की सद्भावना दूत भी हैं बच्चों के अधिकारों और लड़कियों की शिक्षा के लिए प्रचार कर रही हैं।
सिरिशा बांदला (#Sirisha Bandla) ऐतिहासिक 2021 यूनिटी 22 मिशन का हिस्सा रही हैं। वह इस मिशन के हिस्से के रूप में वर्जिन गैलेक्टिक की पहली पूरी तरह से चालक दल वाली सब-ऑर्बिटल स्पेसफ्लाइट में अंतरिक्ष के छोर तक हो आईं हैं। वह अंतरिक्ष में जाने वाली भारत में जन्मी दूसरी महिला बन गईं हैं। कम उम्र से ही अंतरिक्ष में रूचि रखने वाली बांदला अमेरिका जा कर एविएशन इंजीनियरिंग की पढ़ाई की हैं।
उपन्यासकार और लेखिका गीतांजलि श्री (#Geetanjali Shree) ने अपने उपन्यास ‘रेत समाधि’ के अंग्रेजी अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ द सैंड’ के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली हिंदी लेखिका बनकर इस साल इतिहास रच दिया था। इस किताब के फ्रेंच अनुवाद को एमिली गुमेट प्राइज के लिए भी चयनित किया गया था।
इस सूची में चौथी भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहा जावाले (#Sneha Jawale) हैं। उन्होंने पिछले 10 सालों में आग और तेजाब से झुलसने वाली महिलाओं के प्रति समाज की सोच बदली है। मैं खुद को किसी मिस वर्ल्ड या मिस यूनिवर्स से कम नहीं समझती हूं। मैं कहती हूं कि मैं सुंदर हूं तो हूं। जब स्नेहा जावाले के माता-पिता और दहेज की मांग को पूरा नहीं कर पाए तो उनके पति ने उन पर केरोसिन छिड़क कर आग लगा दी थी। उनके परिवार ने पुलिस में मामला दर्ज नहीं कराया। जब उनके पति उनके बेटे को लेकर चले गये तो उन्होंने अपना जीवन फिर से जीने की ठानी। इसके लिए उन्होंने टैरो कार्ड रीडर और स्क्रिप्ट राइटर का काम चुना- यह ऐसे काम थे जिनमें लोगों को उनका चेहरा देखने की ज़रूरत नहीं थी।
