ऑपरेशन ईगल क्लॉ: अमेरिकी-ईरानी संबंधों में एक काला अध्याय

Dharmender Singh Malik
4 Min Read
1979 में ईरान में हुए इस्लामिक क्रांति के बाद, ईरानी कट्टरपंथियों ने तेहरान में अमेरिकी दूतावास पर कब्जा कर लिया और 66 अमेरिकी नागरिकों को बंधक बना लिया। बंधकों को छुड़ाने के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका ने एक गुप्त सैन्य अभियान, ऑपरेशन ईगल क्लॉ शुरू किया।

ऑपरेशन 24 अप्रैल, 1980 को शुरू हुआ। एक दल ने तेहरान के बाहर एक हवाई क्षेत्र पर कब्जा करने की कोशिश की, जबकि दूसरा दल दूतावास में बंधकों को छुड़ाने के लिए गया। हालांकि, दोनों दलों को ईरानी सेना से भारी प्रतिरोध का सामना करना पड़ा।

हवाई क्षेत्र पर कब्जा करने का प्रयास विफल रहा, और दूतावास में बंधकों को छुड़ाने का प्रयास भी विफल रहा। इस अभियान में आठ अमेरिकी सैनिक मारे गए और कई अन्य घायल हुए। बंधकों को 444 दिनों तक कैद में रखा गया, और उन्हें 1981 में रिहा किया गया।

See also  2025 में मिलियनेयर कहाँ स्थानांतरित होंगे? जानें वो देश जो बनेंगे नए घर!

ऑपरेशन ईगल क्लॉ एक बड़ी विफलता थी, लेकिन इसने अमेरिकी-ईरानी संबंधों को और खराब कर दिया। इस अभियान ने संयुक्त राज्य अमेरिका की विश्वसनीयता को भी नुकसान पहुंचाया, और यह एक यादगार त्रासदी के रूप में इतिहास में दर्ज है।

ऑपरेशन ईगल क्लॉ के कारण

ऑपरेशन ईगल क्लॉ के कई कारण थे। सबसे पहले, ईरान में इस्लामिक क्रांति के बाद, ईरानी कट्टरपंथियों ने संयुक्त राज्य अमेरिका को एक दुश्मन के रूप में देखा। उन्होंने बंधकों को एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया, और उन्हें छुड़ाने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका पर दबाव डाला।

दूसरा कारण यह था कि संयुक्त राज्य अमेरिका बंधकों को छुड़ाने के लिए जल्दबाजी कर रहा था। राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने बंधकों को छुड़ाने के लिए एक योजना विकसित करने के लिए एक गुप्त समिति बनाई, और उन्होंने योजना को जल्द से जल्द लागू करने का आदेश दिया।

See also  भारतीय कनाडा का वीजा कैसे लें, पूरी जानकारी

तीसरा कारण यह था कि ऑपरेशन ईगल क्लॉ एक बहुत ही जटिल और जोखिम भरा अभियान था। बंधकों को छुड़ाने के लिए, अमेरिकी सैनिकों को ईरान की सेना से भारी प्रतिरोध का सामना करना पड़ा।

ऑपरेशन ईगल क्लॉ के परिणाम

ऑपरेशन ईगल क्लॉ के कई परिणाम हुए। सबसे पहले, इसने अमेरिकी-ईरानी संबंधों को और खराब कर दिया। ईरान ने इस अभियान को एक आक्रमण के रूप में देखा, और उसने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंध तोड़ दिए।

दूसरा, इस अभियान ने संयुक्त राज्य अमेरिका की विश्वसनीयता को भी नुकसान पहुंचाया। इस अभियान की विफलता ने दुनिया भर में कई लोगों को यह विश्वास दिलाया कि संयुक्त राज्य अमेरिका अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम नहीं है।

See also  अरुणाचल चोटी को दलाई लामा का नाम देने पर चीन भड़का, जानिए पूरा मामला

तीसरा, इस अभियान ने संयुक्त राज्य अमेरिका की सैन्य रणनीति पर भी सवाल उठाए। इस अभियान की विफलता ने कई लोगों को यह विश्वास दिलाया कि संयुक्त राज्य अमेरिका को ऐसे अभियानों को शुरू करने से पहले अधिक सावधानी से सोचना चाहिए।

ऑपरेशन ईगल क्लॉ एक यादगार त्रासदी के रूप में इतिहास में दर्ज है। इस अभियान ने अमेरिकी-ईरानी संबंधों को खराब कर दिया, संयुक्त राज्य अमेरिका की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाया, और संयुक्त राज्य अमेरिका की सैन्य रणनीति पर सवाल उठाए।

See also  2025 में मिलियनेयर कहाँ स्थानांतरित होंगे? जानें वो देश जो बनेंगे नए घर!
Share This Article
Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
1 Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement