पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में चुनाव से ठीक पहले हुए दो धमाकों में कम से कम 22 लोगों की मौत और दो दर्जन से अधिक के घायल होने की खबर है। इन हमलों ने पूरे देश में अशांति फैला दी है और आगामी चुनावों की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं।
प्रांतीय सरकार के अधिकारियों के अनुसार, पहला हमला पीशिन जिले में एक स्वतंत्र चुनाव उम्मीदवार के कार्यालय में हुआ, जिसमें 14 लोग मारे गए। इसके बाद, अफगान सीमा के निकट किला सैफुल्लाह में हुए दूसरे विस्फोट में जमीयत उलेमा इस्लाम (JUI) के कार्यालय को निशाना बनाया गया। यह धार्मिक पार्टी अक्सर उग्रवादी हमलों का शिकार होती है। अधिकारियों के अनुसार, इसमें कम से कम 10 लोगों की मौत हुई है।
अभी तक किसी भी समूह ने इन हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन संदेह है कि बलूच राष्ट्रवादियों या अन्य उग्रवादी समूहों का इनमें हाथ हो सकता है।
बलूचिस्तान का अशांत इतिहास
बलूचिस्तान, जो अफगानिस्तान और ईरान की सीमा से लगता है, दो दशक से अधिक समय से बलूच राष्ट्रवादियों के विद्रोह का सामना कर रहा है। यह विद्रोह शुरू में संसाधन-साझा मांगों से प्रेरित था, लेकिन बाद में स्वतंत्रता की मांग में बदल गया। इसके अलावा, पाकिस्तानी तालिबान और अन्य उग्रवादी समूह भी इस क्षेत्र में काफी सक्रिय हैं।
चुनावों पर संकट के बादल
ये हिंसक घटनाएं आगामी चुनावों पर काले बादल छा रही हैं। विपक्षी दल और मानवाधिकार कार्यकर्ता पहले से ही सरकार पर चुनावों को प्रभावित करने का आरोप लगा रहे हैं।
ऐसे में इन हमलों से चुनाव की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को लेकर और भी ज्यादा शंकाएं खड़ी हो गई हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता
अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी पाकिस्तान में हो रहे इन घटनाक्रमों पर चिंता जता रहा है और उम्मीद करता है कि ये चुनाव शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से संपन्न होंगे।