वाशिंगटन। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की रिपोर्ट में बताया गया कि सूर्य के प्लाज्मा कण से ग्रह पर एक भू-चुंबकीय तूफान आने की आशंका है जो रेडियो तरंगों को प्रभावित कर सकता है। इस कोरोनल मास इजेक्शन की उत्पति सूर्य की रिवर्स-पोलरिटी सनस्पॉट एआर 3296 से 7 मई को हुई है।
सूर्य के कोरोना (बाहरी परत) पर ये सीएमई प्लाज्मा एक चुंबकीय विस्फोट है, कोरोना बेहद गर्म प्लाज्मा से बना होता है, जो लगातार गतिमान रहता है। जब एक कोरोनल मास इजेक्शन निकलता है, तो यह अरबों टन आवेशित कणों को अविश्वसनीय गति से अंतरिक्ष में भेजता है। ये कण 3 मिलियन किलोमीटर प्रति घंटे की गति से यात्रा कर सकते हैं, और यदि वे पृथ्वी की दिशा में लक्षित हैं, तो वे आने पर सभी प्रकार के प्रभाव पैदा कर सकते हैं।
अमेरिका के स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर ने आशंका जताई ये सीएमई पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराने के पर जी1 श्रेणी के छोटे भू-चुंबकीय तूफान को ट्रिगर कर सकता है, इससे कमजोर पावर ग्रिड की सप्लाई उतार-चढ़ाव और उपग्रह संचालन पर मामूली असर पड़ सकता है। वहीं, इस भू-चुंबकीय तूफान से ध्रुवीय क्षेत्रों में बने अरोरास को उच्च अक्षांशों से देखा जा सकता है। उल्लेखनीय है कि प्रवासी पक्षी अपनी यात्रा की दिशा जानने के लिए पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करते हैं। इस तूफान से ये प्रवासी पक्षी काफी प्रभावित हो सकते हैं।
सीएमई के चुंबकीय क्षेत्र और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के बीच परस्पर क्रिया के कारण भू-चुंबकीय तूफान उत्पन्न होते हैं। जब ये चुंबकीय क्षेत्र टकराते हैं, तो वे पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में तेजी से उतार-चढ़ाव पैदा कर सकते हैं, जिससे आयनमंडल और पृथ्वी की सतह में विद्युत धाराएं पैदा हो सकती हैं। ये विद्युत धाराएं उपग्रह संचार और पावर ग्रिड को बाधित कर सकती हैं, साथ ही ध्रुवीय क्षेत्रों में अरोरास बना सकती हैं। उच्च क्षेत्रों में प्रवासी पशु-पक्षी इससे प्रभावित हो सकते हैं।