ट्रंप का ‘युद्धविराम’ दावा: भारत-पाक तनाव शांत करने में ‘मदद’ की, बोले- पर ‘मध्यस्थता’ नहीं कहूंगा!

Manasvi Chaudhary
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ट्रंप का 'युद्धविराम' दावा: भारत-पाक तनाव शांत करने में 'मदद' की, बोले- पर 'मध्यस्थता' नहीं कहूंगा!

वाशिंगटन/नई दिल्ली: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच हुए हालिया युद्धविराम में अपनी भूमिका को लेकर एक बार फिर चौंकाने वाला दावा किया है। ट्रंप ने कहा कि उन्होंने दोनों देशों के बीच तनाव को शांत करने में मदद की थी, लेकिन साथ ही यह भी जोड़ा कि वह सीधे तौर पर यह नहीं कहना चाहते कि उन्होंने मध्यस्थता की।

“समस्या हल कराने में मदद की, जो खतरनाक हो रही थी”

एक कार्यक्रम के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, “मैं ये नहीं कह रहा कि मैंने मध्यस्थता की, लेकिन मैंने उस समस्या को हल कराने में मदद की, जो भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले सप्ताह और भी ज़्यादा खतरनाक हो रही थी।” उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को युद्धविराम का ऐलान हुआ था, जिसके बाद दोनों देशों के सैन्य अभियानों में कमी आई थी।

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ट्रंप ने युद्धविराम के ऐलान के बाद ट्वीट भी किया था, जिसमें उन्होंने कहा था, “मैं यह घोषणा करते हुए काफी खुशी महसूस कर रहा हूं कि भारत और पाकिस्तान ने पूर्ण और तत्काल संघर्षविराम पर सहमति जताई है। दोनों देशों को सामान्य समझदारी और श्रेष्ठ बुद्धिमत्ता का परिचय देने के लिए बधाई।”

भारत ने नकारा है मध्यस्थता का दावा

हालांकि, भारत ने पहले भी ट्रंप के मध्यस्थता के दावों को स्पष्ट रूप से खारिज किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह साफ किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य कार्रवाई को रोकने की समझदारी दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMOs) के बीच सीधी बातचीत के परिणामस्वरूप हुई थी। भारत का यह रुख रहा है कि कश्मीर सहित कोई भी मुद्दा द्विपक्षीय रूप से हल किया जाएगा और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार्य नहीं है।

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गौरतलब है कि हाल के हफ्तों में भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव काफी बढ़ गया था, जिसमें दोनों ओर से सैन्य कार्रवाई और ड्रोन गतिविधियां देखने को मिली थीं। इन गतिविधियों में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ‘ऑपरेशन बुनियान-उन-मर्सूस’ जैसे सैन्य अभियान शामिल थे। दोनों देशों के बीच 10 मई को युद्धविराम होने के बाद सीमा पर शांति बहाल हुई है।

ट्रंप का यह दावा एक बार फिर दोनों देशों के बीच के जटिल संबंधों और अंतरराष्ट्रीय मंच पर किसी भी हस्तक्षेप की संवेदनशीलता को उजागर करता है।

 

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