नई दिल्ली: अंतरिक्ष से पृथ्वी के लिए एक संभावित खतरा मंडरा रहा है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगले सात वर्षों में पृथ्वी से एक विशाल एस्टेरॉयड टकरा सकता है। हालांकि इस टक्कर की संभावना बहुत कम है, लेकिन 130 से 300 फीट चौड़े इस एस्टेरॉयड के पृथ्वी से टकराने की 1 फीसदी से ज्यादा संभावना ने वैज्ञानिकों को चिंतित कर दिया है। यह एक डरावनी संभावना है जिस पर वैश्विक स्तर पर नजर रखी जा रही है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के गहन विश्लेषण से यह जानकारी सामने आई है कि पृथ्वी के निकट मौजूद 2024 YR4 नामक एस्टेरॉयड की पृथ्वी से 22 दिसंबर, 2032 को टक्कर हो सकती है। वर्तमान में, कोई अन्य ज्ञात बड़ा एस्टेरॉयड इतना अधिक, यानी 1% से अधिक, टक्कर की संभावना नहीं रखता है। 2024 YR4 की पहली आधिकारिक रिपोर्ट 27 दिसंबर, 2024 को माइनर प्लैनेट सेंटर में दर्ज की गई थी।
यह महत्वपूर्ण रिपोर्ट एस्टेरॉयड टेरेस्ट्रियल-इम्पैक्ट लास्ट अलर्ट सिस्टम (ATLAS) स्टेशन, चिली द्वारा प्रदान की गई थी। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस एस्टेरॉयड का आकार लगभग 130 से 300 फीट चौड़ा हो सकता है। यह एस्टेरॉयड 31 दिसंबर, 2024 को नासा की सेंट्री जोखिम सूची में शामिल हुआ, जिसके बाद खगोलविदों की इस पर विशेष नजर बनी हुई है।
NASA के बाद ESA ने भी की पुष्टि
नासा के विश्लेषण के बाद यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के प्लैनेटरी डिफेंस ऑफिस ने भी इस संभावित खतरे की पुष्टि की है। ESA के अनुसार, 2024 YR4 के 22 दिसंबर, 2032 को पृथ्वी के पास से सुरक्षित रूप से गुजरने की लगभग 99% संभावना है। हालांकि, एजेंसी ने यह भी स्पष्ट किया है कि संभावित टक्कर की संभावना को अभी तक पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है, और इस पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।
अब आगे क्या होगा?
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2024 YR4 का आकार लगभग 50 मीटर से अधिक है। इस आकार का कोई भी एस्टेरॉयड यदि पृथ्वी से टकराता है तो यह स्थानीय स्तर पर काफी विनाशकारी प्रभाव डाल सकता है। इसकी टक्कर की संभावना अगले 50 वर्षों में 1% से अधिक है। यही कारण है कि यह एस्टेरॉयड दो संयुक्त राष्ट्र समर्थित क्षुद्रग्रह प्रतिक्रिया समूहों को सक्रिय करने के लिए आवश्यक सभी मानदंडों को पूरा करता है: अंतर्राष्ट्रीय क्षुद्रग्रह चेतावनी नेटवर्क (IAWN) और अंतरिक्ष मिशन योजना सलाहकार समूह (SMPAG)। ये दोनों समूह इस संभावित खतरे का आकलन करने और इससे बचाव की रणनीतियां तैयार करने के लिए मिलकर काम करेंगे। वैज्ञानिकों का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में इस एस्टेरॉयड की कक्षा का और सटीक आकलन किया जा सके, जिससे टक्कर की वास्तविक संभावना का बेहतर अनुमान लगाया जा सके।