जिनेवा। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के 58वें सत्र में वर्चुअल तरीके से भाग लिया और वैश्विक मुद्दों पर भारत का पक्ष मजबूती से रखा। उन्होंने भू-राजनीतिक उथल-पुथल, आतंकवाद और बहुपक्षीय प्रणाली की आवश्यकता पर जोर दिया। अपने संबोधन में विदेश मंत्री ने कहा कि वर्तमान वैश्विक संरचनाओं की कमी स्पष्ट रूप से उजागर हुई है, और अब एक नई, बहु-विषयक प्रणाली की आवश्यकता है जो आधुनिक वैश्विक वास्तविकताओं को दर्शाती हो।
नई बहुपक्षीय प्रणाली की आवश्यकता पर बल
जयशंकर ने कहा, “पिछले कुछ वर्षों ने यह साबित किया है कि मौजूदा बहुपक्षीय संरचनाएं वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में पर्याप्त नहीं हैं। जब दुनिया को इन संरचनाओं की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब ये अपर्याप्त साबित हुईं।” उन्होंने बहुपक्षीय प्रणाली की आवश्यकता को दोहराते हुए कहा कि इसे वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए और अधिक सुसज्जित किया जाना चाहिए, ताकि यह आधुनिक दौर की जरूरतों का सही तरीके से जवाब दे सके।
भारत का आतंकवाद के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ दृष्टिकोण
एस जयशंकर ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत हमेशा आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति का समर्थन करेगा और आतंकवाद को सामान्य बनाने के किसी भी प्रयास का विरोध करेगा। उन्होंने कहा, “हम आतंकवाद का मुकाबला करने में अडिग रहे हैं और आगे भी यही करेंगे।”
वसुधैव कुटुंबकम्: एक वैश्विक दृष्टिकोण
अपने संबोधन में उन्होंने वसुधैव कुटुंबकम् (दुनिया एक परिवार है) के भारतीय दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए कहा, “हम केवल यह बात नहीं करते, बल्कि इसे जीते भी हैं।” उनका यह बयान भारत की नीति की पुष्टि करता है, जो दुनिया के सभी देशों के साथ सहयोग और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देती है। उन्होंने आगे कहा कि इस दृष्टिकोण की आज पहले से कहीं ज्यादा आवश्यकता है, खासकर वैश्विक तनाव और संघर्षों के इस समय में।
मानवाधिकारों के संरक्षण में भारत की भूमिका
जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत ने हमेशा मानवाधिकारों के वैश्विक प्रचार और संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाई है। उनका दृष्टिकोण क्षमता निर्माण, मानव संसाधन और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर केंद्रित रहा है, जिसमें वित्तीय जिम्मेदारी, पारदर्शिता और स्थिरता के सिद्धांतों को हमेशा प्राथमिकता दी गई है।
विश्व की भू-राजनीतिक उथल-पुथल पर विचार
विदेश मंत्री ने अपनी बात को समाप्त करते हुए कहा, “आज दुनिया विभिन्न भू-राजनीतिक संघर्षों का सामना कर रही है और यह अधिक खंडित, अनिश्चित और अस्थिर होती जा रही है।” उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे समय में वैश्विक एकता और सहयोग की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है।