लॉकडाउन का दर्द- रोजगार विहीन मजदूर ने भुखमरी के चलते लगाई फांसी

lockdown ka dard
लॉक डाउन का दर्द

फर्रुखाबाद । कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के चलते बेरोजगारी की समस्या सबसे बड़ी बनकर सामने आई है। यूपी के फर्रुखाबाद जिले में अभी तक कोरोना से कोई भी मौत नहीं हुई लेकिन लॉकडाउन के दौरान रोजगार छिन जाने से भुखमरी की कगार पर जा पहुंचा एक मजदूर फांसी पर लटक गया। घरवालों को जब तक इसकी सूचना मिलती उसकी मौत हो चुकी थी। मौत का एक कारण इलाके का कोटेदार भी बना, जिसने अन्त्योदय राशन कार्ड पर निश्चित मात्रा से कम खाद्यान्न का वितरण किया। नतीजतन कार्डधारक के सामने भुखमरी की नौबत पैदा हुई। जिसके चलते उसको आत्महत्या करने का रास्ता अख्तियार करने के लिए मजबूर होना पड़ा।


यह दुखद हादसा नबावगंज थाना क्षेत्र के गांव हईपुर का है। यहां का 35 वर्षीय चुन्नीलाल बाथम मेहनत मजदूरी करके अपना परिवार पालता था। अचानक वैश्विक महामारी कोविड-19 कोरोना को लेकर जब नेशनल लॉकडाउन की घोषणा हुई तो अन्य मजदूरों की तरह उसे भी रोजगार मिलना बंद हो गया। इस दौरान घर में रखे अनाज और जमा पूंजी से किसी तरह चुन्नी लाल अपना परिवार चलाता रहा। लेकिन जब इलाके के कोटेदार ने अन्त्योदय राशन कार्ड पर भी उसे निश्चित मात्रा से काफी कम खाद्यान का वितरण किया तो उसकी परेशानी चरम पर जा पहुंची। वह दो जून की रोटी के लिए हर संभावित जगह पर मदद के वास्ते दस्तक देने गया लेकिन उसकी कहीं सुनवाई नहीं हुई। हर ओर से थक हार कर उसने गांव के प्रमोद मिश्र के आम के बाग में गया। जहां उसने अपनी लुंगी से पेड़ से लटक कर आत्महत्या कर ली।

पिता को कई घंटे गुजर जाने के बाद घर लौटा न देख चुन्नी लाल की सात वर्षीय बेटी सलोनी और चार वर्षीय बेटा आयुष जब खोजता हुआ प्रमोद के आम के बाग में पहुंचा तो पिता के शव को पेड़ पर लटका देख उसने इसकी सूचना मां कमला देवी को दी। यह सुनते ही कमला के पैरों नीचे जमीन खिसक गई। गांव प्रधानपति महेश शाक्य ने मामले की सूचना थानाध्यक्ष राकेश कुमार शर्मा को दी। मौके पर सेक्टर मजिस्ट्रेट राजीव लोचन मिश्र, क्षेत्राधिकारी मोहम्मदाबाद सोहराव आलम घटना स्थल पर पहुंचे। शव को पेड़ से नीचे उतार कर उसका पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।

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