सुमित गर्ग,
त्यौहार – ज्योतिषाचार्य पंडित राहुल भारद्वाज ने बताया कि संतान की लंबी उम्र व सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है यह व्रत अहोई अष्टमी का व्रत संतान की दीर्घायु और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस वर्ष यह व्रत सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन माताएं निर्जला रहकर अहोई माता (सेही माता) की पूजा करती हैं और शाम को तारों को जल अर्पित कर व्रत खोलती हैं। आचार्य राहुल भारद्वाज ने कहा कि अहोई अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:53 से 7:08 बजे तक रहेगा। जबकि तारे देखने का समय शाम 6:17 बजे रहेगा। इस दिन शिव योग, सर्वार्थ सिद्ध योग, परिघ योग और रवि योग जैसे कई शुभ योगों में मनाई जाएगी।
आचार्य जी ने बताया कि जो माताएं बहनें इस व्रत को करती हैं उनके बच्चों पर अहोई माता की विशेष कृपा रहती है। आचार्य राहुल भारद्वाज ने कहा कि कार्तिक मास में आने वाली अहोई अष्टमी मातृत्व के त्याग, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। माताएं प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करती हैं, सूर्य देव को जल अर्पित करती हैं और दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं। अहोई अष्टमी माता की प्रतिमा या दीवार पर बनाए गए चित्र की पूजा करती हैं। जिसमें चांदी की स्याहू (सेही) की आकृति भी शामिल होती है।
पूजा उपरांत तारों को अघ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक महिला जंगल में मिट्टी खोदते समय अनजाने में स्याहू के बच्चे को मार बैठी थी। क्रोधित स्याहू ने उसे श्राप दिया कि उसकी संतान भी नष्ट हो जाएगी। तब स्त्री ने अहोई अष्टमी माता की आराधना की, जिसके प्रभाव से उसका पुत्र पुनर्जीवित हो गया। तभी से यह व्रत संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए किया जाने लगा। आचार्य राहुल भारद्वाज ने बताया कि अहोई अष्टमी माता को पूड़ी, मालपुआ, चावल और दूध का भोग अर्पित करना शुभ माना गया है। अहोई माता को मां देवी पार्वती का स्वरूप माना जाता।
ज्योतिषाचार्य पंडित राहुल भारद्वाज
वैदिक ज्योतिष वास्तु विशेषज्ञ
088648 44441