AI की हवस से दूर और जागरूक रहें, AI भारतीयों को बेरोजगार बना रहा है

Manasvi Chaudhary
5 Min Read
AI की हवस से दूर और जागरूक रहें, AI भारतीयों को बेरोजगार बना रहा है
आगरा: आजकल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का बोलबाला है, और यह दुनिया भर के कामकाजी जीवन और उद्योगों में एक क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है। AI ने जहां कुछ क्षेत्रों में दक्षता बढ़ाई है, वहीं कुछ अन्य क्षेत्रों में इसके प्रभाव से बेरोजगारी और आर्थिक असमानता की समस्याएं बढ़ रही हैं। खासकर भारतीय बाजार में, AI के बढ़ते प्रभाव के कारण कई नौकरियां खतरे में हैं और आम व्यक्ति के लिए अपनी आजीविका कमाने में मुश्किलें आ रही हैं।

AI का बढ़ता प्रभाव

आज के समय में, AI ने कई उद्योगों में स्थानांतरित होकर पारंपरिक श्रमिकों की भूमिकाओं को खतरे में डाल दिया है। खासकर तकनीकी, उत्पादन, और सर्विस सेक्टर में इसका प्रभाव देखा जा रहा है। ऑटोमेशन और रोबोटिक्स जैसे AI उपकरण मानव श्रमिकों की जगह लेने लगे हैं। इससे रोजगार के अवसर घटने के बजाय सिर्फ विशिष्ट और तकनीकी कौशल वाले व्यक्तियों के लिए ही अवसर बच रहे हैं, जिनके पास AI और मशीन लर्निंग जैसी नई तकनीकों में दक्षता है।

भारत में बेरोजगारी का संकट

भारत में बेरोजगारी का स्तर पहले ही एक बड़ी चिंता का विषय था। अब AI के कारण यह संकट और भी गहरा गया है। जैसे-जैसे अधिक से अधिक कंपनियां AI पर निर्भर होती जा रही हैं, पुराने तरीकों से काम करने वाले लाखों श्रमिक अपनी नौकरियों से हाथ धो रहे हैं। खासकर, डेटा एंट्री, टेलीमार्केटिंग, कस्टमर सर्विस, और मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में AI द्वारा मानव श्रमिकों की जगह ली जा रही है।

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उदाहरण के तौर पर, AI आधारित चैटबॉट्स और ग्राहक सेवा सॉफ़्टवेयर ने मानव कर्मचारियों को प्रतिस्थापित कर दिया है। इसके परिणामस्वरूप, भारी संख्या में ग्राहक सेवा प्रतिनिधि, जो पहले ये काम करते थे, अब बेरोजगार हो गए हैं। इसके अलावा, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी स्वचालन के कारण हजारों श्रमिकों की नौकरी खतरे में है।

समाज में असमानता का बढ़ता स्तर

AI का विस्तार न केवल बेरोजगारी का कारण बन रहा है, बल्कि यह समाज में असमानता को भी बढ़ा रहा है। जिन लोगों के पास तकनीकी शिक्षा और कौशल है, वे AI के माध्यम से बेहतर रोजगार के अवसर पा रहे हैं, जबकि अधिकांश भारतीय श्रमिक जो पारंपरिक क्षेत्रों में काम करते हैं, उन्हें AI के प्रभाव से बाहर कर दिया गया है। यह श्रमिकों के बीच शिक्षा और तकनीकी कौशल के अंतर को और भी बढ़ा रहा है।

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AI के प्रभाव से गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों की स्थिति और भी बदतर हो सकती है, क्योंकि उन्हें नए कौशल सीखने के लिए न तो संसाधन उपलब्ध हैं और न ही अवसर। इसके परिणामस्वरूप, समाज में दो हिस्सों में बंटने की संभावना बढ़ रही है – एक वह जो AI और तकनीकी विकास के लाभ उठा रहा है, और दूसरा वह जो इसका नुकसान उठाते हुए बेरोजगार हो रहे हैं।

कैसे बचें AI की हवस से?

आखिरकार, AI के बढ़ते प्रभाव से बचने के लिए हमें जागरूक रहना होगा। यह महत्वपूर्ण है कि हम इस तकनीकी बदलाव के साथ खुद को ढालने के लिए सक्रिय कदम उठाएं। इसके लिए निम्नलिखित उपायों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए:

  1. नए कौशलों को सीखना: वर्तमान कार्यबल को अपने कौशल को अद्यतन करने की आवश्यकता है। AI और मशीन लर्निंग जैसे क्षेत्रों में कौशल हासिल करने से लोगों को इस बदलाव के साथ तालमेल बिठाने में मदद मिलेगी।
  2. शैक्षिक सुधार: भारतीय सरकार को शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने की जरूरत है, जिससे बच्चों को प्रारंभिक स्तर से ही तकनीकी और डिजिटल कौशल सिखाए जा सकें।
  3. स्वतंत्रता और उद्यमिता को बढ़ावा देना: लोगों को नए विचारों और उद्यमिता के प्रति जागरूक करना जरूरी है, ताकि वे AI की ताकत का सही तरीके से इस्तेमाल कर सकें।
  4. मानवाधिकार की सुरक्षा: AI के लिए नीति और दिशानिर्देशों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है ताकि यह समाज के विभिन्न वर्गों के लिए समान अवसर सुनिश्चित कर सके और उनके अधिकारों का उल्लंघन न हो।
  5. मनोबल बनाए रखना: यह जरूरी है कि हम AI के साथ प्रतिस्पर्धा करने के बजाय इसे एक सहायक उपकरण के रूप में देखें, ताकि हम इसका सकारात्मक उपयोग कर सकें और अपने रोजगार के अवसरों को बढ़ा सकें।
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