नई दिल्ली: आजकल डिजिटल पेमेंट का चलन बढ़ गया है, लेकिन बहुत से लोग अभी भी कैश लेन-देन को “सुरक्षित” मानते हैं, खासकर यह सोचकर कि इनकम टैक्स विभाग को इसकी जानकारी नहीं मिलेगी। हालांकि, सच्चाई इसके बिलकुल विपरीत है। आयकर विभाग अब पहले से कहीं ज्यादा सतर्क और डिजिटल हो गया है। चाहे आपने डिजिटल पेमेंट किया हो या कैश से, अगर आपने इन चार बड़ी चीज़ों में गड़बड़ की, तो विभाग तुरंत आपको नोटिस भेज सकता है।
आइए, एक-एक करके समझते हैं कि कौन से हैं वो 4 ट्रांजेक्शन जिन पर आयकर विभाग की कड़ी नजर रहती है और आप उनसे कैसे बच सकते हैं।
1. बैंक खाते में ₹10 लाख या उससे ज़्यादा की नकद जमा
अगर आप पूरे साल में अपने किसी एक बैंक अकाउंट या अलग-अलग खातों में कुल ₹10 लाख या उससे अधिक नकद जमा करते हैं, तो आप इनकम टैक्स विभाग की निगरानी में आ जाते हैं। CBDT (Central Board of Direct Taxes) ने बैंकों को निर्देश दे रखा है कि वे इस तरह के हर कैश डिपॉजिट की रिपोर्ट इनकम टैक्स विभाग को भेजें।
चाहे आपने बार-बार छोटे-छोटे अमाउंट जमा किए हों या एक बार में बड़ी रकम, ट्रैकिंग होनी तय है। यदि आपने जमा की गई रकम की सही जानकारी टैक्स रिटर्न में नहीं दी, या उसका स्रोत सही नहीं बताया, तो नोटिस आना तय है।
इससे बचने का तरीका: जो भी पैसा जमा करें, उसका पूरा रिकॉर्ड और दस्तावेज (जैसे सैलरी स्लिप, प्रॉपर्टी सेल, बिजनेस इनकम आदि) संभाल कर रखें।
2. ₹1 लाख या उससे अधिक की नकद FD (फिक्स्ड डिपॉजिट)
अगर आपने ₹1 लाख या उससे ज्यादा की फिक्स्ड डिपॉजिट नकद में करवाई है, तो भी आप विभाग की नजर में आ सकते हैं। बैंक को हर बड़ी FD की रिपोर्ट टैक्स विभाग को देनी होती है। FD करते वक्त आपका PAN कार्ड मांगा जाता है, और यदि आपकी सालाना इनकम और FD की रकम में विसंगति दिखी, तो सवाल ज़रूर उठेंगे।
क्या करें? अगर आपने नकद में FD करवाई है, तो उसके इनकम सोर्स का डॉक्यूमेंट ज़रूर रखें और टैक्स रिटर्न में उसकी जानकारी दें।
3. ₹30 लाख या उससे अधिक की प्रॉपर्टी खरीद में नकद भुगतान
भारत में प्रॉपर्टी खरीद में नकद लेनदेन का चलन पुराना है, लेकिन अब यह टैक्स विभाग की सीधी नजर में आ चुका है। अगर आपने किसी फ्लैट, ज़मीन या दुकान की खरीद में ₹30 लाख रुपये या उससे अधिक का नकद भुगतान किया है, तो रजिस्ट्री ऑफिस को इसकी सूचना इनकम टैक्स विभाग को देनी होती है। यह नियम बेनामी संपत्ति और काले धन के खिलाफ सख्ती के लिए लाया गया है। अगर आपकी घोषित आय कम है और आपने महंगी प्रॉपर्टी नकद में खरीद ली है, तो विभाग सवाल ज़रूर करेगा।
बचने का तरीका: RTGS, NEFT या चेक जैसे डिजिटल माध्यम से भुगतान करें और जो भी नकद पेमेंट करें, उसका स्रोत और उपयोग प्रूफ के साथ रखें।
4. क्रेडिट कार्ड के बिल का ₹1 लाख या उससे ज़्यादा का नकद पेमेंट
जो लोग क्रेडिट कार्ड को “छुपा हुआ कैश यूज़ सिस्टम” मानते हैं, उन्हें सावधान रहना चाहिए। अगर आपने एक बार में या एक साल में ₹1 लाख रुपये या उससे अधिक का क्रेडिट कार्ड बिल नकद में चुकाया है, तो बैंक इसकी भी रिपोर्ट इनकम टैक्स विभाग को भेज देता है। इसके अलावा, यदि आपका कुल खर्च साल में ₹10 लाख से ऊपर चला गया (EMI, प्रीमियम, कार्ड पेमेंट, SIP सब मिलाकर), तो विभाग उसकी जांच कर सकता है।
क्या करें? बिलों का पेमेंट हमेशा डिजिटल या बैंक ट्रांसफर से करें और अपनी आय के अनुपात में खर्च करें।
इनकम टैक्स का नोटिस मिलने पर क्या करें?
अगर गलती से या अनजाने में आपने कोई ऐसा ट्रांजेक्शन कर दिया है जो आपकी आय से मेल नहीं खाता और आपको नोटिस मिल गया है, तो घबराने के बजाय:
- शांति से सभी ज़रूरी डॉक्यूमेंट इकट्ठा करें।
- बैंक स्टेटमेंट, इनकम सोर्स, सैलरी स्लिप, प्रॉपर्टी सेल एग्रीमेंट जैसी चीजें तैयार रखें।
- ज़रूरत पड़ने पर किसी अनुभवी टैक्स कंसल्टेंट से मदद लें।
- याद रखें, नोटिस का मतलब यह नहीं कि आपने अपराध किया है, कई बार सिर्फ स्पष्टीकरण मांगा जाता है।
पारदर्शिता ही है सबसे बड़ा हथियार
इनकम टैक्स की नजरों से बचने का सबसे अच्छा तरीका है – साफ-सुथरा और पारदर्शी वित्तीय व्यवहार।
- टैक्स रिटर्न समय पर भरें।
- जितनी भी इनकम है, उसका सही डिक्लेरेशन करें।
- जितना भी खर्च या निवेश करें, वह अपनी आय के मुताबिक हो और उसका पूरा रिकॉर्ड रखें।
इनकम टैक्स विभाग अब पहले से कहीं ज़्यादा स्मार्ट और डिजिटल हो चुका है। जो लोग अभी भी यह सोचते हैं कि “कैश लेन-देन से बचा जा सकता है”, उन्हें जल्द ही सच्चाई का सामना करना पड़ सकता है। अगर आप ऊपर बताए गए 4 ट्रांजेक्शन बिना इनकम सोर्स के स्पष्टीकरण के कर रहे हैं, तो सावधान हो जाइए। ईमानदारी से टैक्स भरना न सिर्फ कानून का पालन है, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक होने की पहचान भी है।
क्या आप भी इन ट्रांजेक्शन को लेकर सावधान रहते हैं?